भाजपा नगरसेवक कुंदन गायकवाड़ को नोटिस जारी

पिंपरी। समाचार ऑनलाइन – जाति प्रमाणपत्र अवैध करार देने के बाद नागपुर हाईकोर्ट के आदेश से भी भाजपा के नगरसेवक कुंदन गायकवाड़ को राहत नहीं मिल सकी है। बुलढाणा की जाति पडतालनी समिति के फैसले पर हाईकोर्ट ने पुनः जांच करने के आदेश दिए हैं। इस पर पिंपरी चिंचवड़ मनपा आयुक्त ने अपने कानून विभाग से परामर्श मांगा था। बीते दिन कानून विभाग ने अपना अभिप्राय मनपा आयुक्त और निर्वाचन विभाग को भेज दिया है। इसी के साथ ही नगरविकास विभाग ने गायकवाड़ को बतौर नगरसेवक के अब तक अदा किए गए मानदेय व भत्ते के 2 लाख 54 हजार 968 रुपए लौटाने को लेकर नोटिस जारी की है।

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मानदेय वसूलने के तीसरा मौका

कानूनी विभाग द्वारा दिये गए अपने अभिप्राय में कहा गया है कि, भले ही हाईकोर्ट ने जाति प्रमाणपत्र की पुनः जांच करने के आदेश दिये हों मगर इसके बाद भी कुंदन गायकवाड़ का नगरसेवक पद सुरक्षित नहीं रह सकता। ऐसा हाईकोर्ट के आदेश में भी उल्लेखित है। कानून विभाग के अभिप्राय और नगरसचिव विभाग की नोटिस से मनपा आयुक्त श्रावण हार्डिकर द्वारा गायकवाड़ की सदस्यता खारिज करने के फैसले पर मुहर लग गई है। पिंपरी चिंचवड मनपा के इतिहास में नगरसेवक पद रद्द होने के बाद मानदेय वसूलने की कार्रवाई का यह तीसरा मौका है। इससे पहले राष्ट्रवादी कांग्रेस के जगदीश शेट्टी और सीमा फुगे पर ऐसी कार्रवाई की गई थी।

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पडतालनी समिति ने दिया था यह फैसला

गौरतलब हो कि कुंदन गायकवाड ने मनपा चुनाव के लिए नामांकन पर्चा भरते वक्त कैकाडी जाति का प्रमाणपत्र पेश किया था। चुनाव में उनके प्रतिस्पर्धी नितिन रोकड़े ने उनके जाति प्रमाणपत्र पर आपत्ति जताई थी। इसके अनुसार बुलढाणा की जाति प्रमाणपत्र पडतालनी समिति ने पूरी जाँच पड़ताल के बाद उनका प्रमाणपत्र अवैध करार दिया। इस फैसले को गायकवाड़ ने हाईकोर्ट में चुनौती दी थी जिसपर कोर्ट ने रोक लगाई थी। रोक की मियाद समाप्त होने के बाद पडतालनी समिति ने गायकवाड़ का प्रमाणपत्र अवैध करार दिया। साथ ही इस प्रमाणपत्र के आधार पर लिए गायकवाड़ को दिए गए सभी सरकारी लाभ लौटाने और फर्जीवाडे के जरिये सरकार के साथ धोखाधड़ी करने को लेकर उनके खिलाफ मामला दर्ज करने के आदेश दिए हैं।

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कानून विभाग ने दिया यह अभिप्राय

मनपा आयुक्त ने इस फैसले से राज्य सरकार को अवगत कराने के बाद कुंदन गायकवाड़ की सदस्यता खारिज कर दी। इस पर गायकवाड़ ने फिर हाईकोर्ट से दरकार लगाई। हाईकोर्ट ने जाति पडतालनी समिति को पुनः जांच के आदेश दिए हैं। गत सप्ताह मनपा आयुक्त श्रावण हार्डिकर ने इस आदेश पर कानूनी विभाग से राय मांगी। कानून विभाग ने सोमवार को अपना अभिप्राय मनपा आयुक्त और निर्वाचन विभाग को भेज दिया। इस विभाग के सहायक आयुक्त चंद्रकांत इंदलकर के अनुसार, भले ही हाईकोर्ट ने जाति प्रमाणपत्र की पुनः जांच करने के आदेश दिये हों मगर इसके बाद भी कुंदन गायकवाड़ का नगरसेवक पद सुरक्षित नहीं रह सकता। ऐसा हाईकोर्ट के आदेश में भी उल्लेखित है।

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भाजपा को लगेगा दूसरा झटका

इसके अलावा सुप्रीम कोर्ट के आदेशानुसार भी गायकवाड़ की सदस्यता सुरक्षित नहीं रह सकती। कोल्हापुर मनपा के नगरसेवकों के मामले में सुप्रीम कोर्ट ने चुनाव के छह माह के भीतर जाति प्रमाणपत्र न पेश करनेवाले नगरसेवकों के पद रद्द करने के आदेश दिए हैं। राज्य सरकार ने छह की बजाय एक वर्ष की मियाद निश्चित कर ऐसे नगरसेवकों को राहत दी है। यह अंतिम मियाद भी 12 अक्टूबर को खत्म हो गई है। इसके अनुसार कुंदन गायकवाड़ के साथ भाजपा की ही यशोदा बोइनवाड़ की सदस्यता भी खतरे में आ गई है। इससे सत्तादल भाजपा को लगातार दो झटके मिले हैं।