अब एनसीपी के लिए विधानसभा चुनाव एक बड़ी चुनौती

पिंपरी : समाचार ऑनलाईन – लोकसभा चुनाव संपन्न होते ही विधानसभा चुनाव की तैयारियां शुरू हो गई हैं। मावल लोकसभा क्षेत्र में शामिल सभी छह विधानसभा क्षेत्रों में महायुति को मिले रिस्पॉन्स को दृष्टि में रखते हुए कहा जा सकता है कि यहां महायुति को कोई कठिनाई नहीं होगी। एनसीपी को कर्जत के अलावा कहीं रिस्पॉन्स नहीं मिला। वहां भी सिर्फ 1,850 वोट का फर्क होने से एनसीपी को लोकसभा के बाद अब विधानसभा के लिए भी कड़ा मुकाबला करना होगा।

विधानसभा चुनाव लड़ने के इच्छुक लोगों के लिए लोकसभा चुनाव को सेमीफाइनल की तरह देखा जाता है। लोकसभा चुनाव में अपने क्षेत्र से कौन कितनी लीड बनाता है? विधानसभा चुनाव के इच्छुक प्रत्याशियों के सारे समीकरण इस मुद्दे पर ही आधारित होते हैं। मावल के माहौल को दृष्टि में रखते हुए यदि महायुति कायम रही तो एनसीपी के लिए कर्जत की एकमात्र सीट भी हाथ से निकल जाने की आशंका है। मनपा के बाद लोकसभा चुनाव में भी पराजय की वजह से मावल में अब शिवसेना के श्रीरंग बारणे एवं एनसीपी के पार्थ पवार के बीच प्रतिष्ठा की लड़ाई शुरू हो गई है। पहले कांटे की टक्कर माना जाने वाला यह मुकाबला बाद में शिवसेना के लिए एकतरफा साबित हुआ। श्रीरंग बारणे ने दो लाख से ज्यादा की लीड के साथ चुनाव जीता। यहां उनको मिले भारी रिस्पॉन्स के चलते कर्जत के अलावा शेष सभी विधानसभा क्षेत्र में महायुति ज्यादा सशक्त हुई है।

विधायक जगताप से हाथ मिला लेने से लाभान्वित हुए श्रीरंग बारणे
विधानसभा क्षेत्रवार प्राप्त वोटों पर नजर डाली जाए तो सिर्फ कर्जत क्षेत्र में पार्थ पवार को 1,850 वोटों की लीड मिली। पिंपरी व चिंचवड़ पहले एनसीपी के दबदबे वाले क्षेत्र थे। यहां सिर्फ पूर्व उपमुख्यमंत्री अजीत पवार का हुक्म चलता था। मगर इस बार इन दोनों विधानसभा क्षेत्रों ने पार्थ पवार का समीकरण बिगाड़ दिया। चिंचवड़ विधानसभा क्षेत्र में डाले गए 1,76,475 में से 96,758 वोट श्रीरंग बारणे के पक्ष में डाले गए तथा पिंपरी क्षेत्र में डाले गए 1,03,235 में से 41,294 वोट की बढ़त बारणे को मिली। बीजेपी के शहराध्यक्ष विधायक लक्ष्मण जगताप के साथ हाथ मिला लेना श्रीरंग बारणे के लिए चिंचवड़ में लाभदायक रहा।

पिंपरी ने एनसीपी की उम्मीदें तोड़ीं
पिंपरी विधानसभा क्षेत्र में झोपड़पट्टी निवासी मतदाताओं से भी वोट प्राप्त करने में एनसीपी के स्थानीय नेता असफल रहे। इस वजह से वंचित बहुजन आघाड़ी ने यहां 17,794 वोट प्राप्त किए। पिंपरी में गलत नेताओं के भरोसे रहना पार्थ पवार को महंगा पड़ा। यहां कांग्रेस का दुर्बल होना भी उनकी पराजय का एक कारण है।

मावल में बाला भेगड़े की जीत निश्चित
मावल बीजेपी का किला है। यहां श्रीरंग बारणे को 1,05,272 तथा पार्थ पवार को 83,445 वोट मिले और बारणे को 21,827 वोटों की लीड मिली। इस वजह से स्थानीय विधायक बाला भेगड़े की जीत निश्चित मानी जा रही है। मावल सीट पर पार्टी के टिकट पर चुनाव लड़ने के इच्छुक लोग बेचैन हो गए हैं।

शेकापा करीब-करीब अस्तित्वहीन
पिछली बार मावल लोकसभा क्षेत्र में शेकापा भी चुनाव मैदान में उतरी थी। शेकापा के टिकट पर चुनाव लड़े लक्ष्मण जगताप अब बीजेपी के विधायक हैं। लगातार असफलता को दृष्टि में रखते हुए शेकापा ने इस बार अपना प्रत्याशी चुनाव में नहीं उतारा व एनसीपी को समर्थन दिया। पनवेल एवं उरण में एनसीपी शेकापा के बल पर ही सशक्त थी, मगर अब शेकापा के ही करीब-करीब अस्तित्वहीन हो जाने तथा यहां शेकापा के ही भरोसे रहने की एनसीपी की नीति भी यहां घातक साबित हुई।

अब श्रीरंग बारणे मावल लोकसभा क्षेत्र को क्या देंगे?
मावल में बीजेपी के तीन, शिवसेना के दो तथा एनसीपी का एक विधायक है। पनवेल एवं पिंपरी-चिंचवड़ मनपाओं में बीजेपी की सत्ता है। कुछ अन्य लोकल बॉडीज में भी बीजेपी का दबदबा है। ङ्गशिवसेना के प्रत्याशी की जीत यानी नरेंद्र मोदी को एक बार फिर प्रधानमंत्री बनाने हेतु उठाया गया एक कदमफ यह मानते हुए बीजेपी ने भी यहां जमकर प्रचार किया। इस वजह से ही श्रीरंग बारणे भारी बहुमत से चुनाव जीते। चर्चा की जा रही है कि अब श्रीरंग बारणे इस लोकसभा क्षेत्र को क्या देंगे।