अब अपराधियों की खैर नहीं, पाटिल के रूप में पुणे ग्रामीण को मिला ‘सिंघम’

पुणे | समाचार ऑनलाइन

पुणे ग्रामीण के पुलिस अधीक्षक सुवेज हक का तबादला कर उन्हें मुंबई में एंटी-टेररिज्म स्क्वायड (एटीएस) का उपमहानिरीक्षक नियुक्त किया गया है। हक की पहचान ऐसे अधिकारियों में होती है, जो दबाव में आये बिना अपना काम करते हैं। बतौर पुलिस अधीक्षक उन्होंने पुणे ग्रामीण में अपराधियों की नाक में दम कर रखा था। ऐसे में उनका तबादला शहरवासियों के लिए किसी झटके की तरह था, लेकिन इस झटके का असर संदीप पाटिल की नियुक्ति के साथ ही कम हो गया है। पाटिल के रूप में शहर को नया सिंघम मिला है। सतारा जिले के एसपी के तौर पर सेवाएं दे रहे संदीप पाटिल को पुणे ग्रामीण की कमान सौंपी गई है। सतारा में पाटिल बदमाशों के लिए खौफ बन चुके थे। उनके नेतृत्व में पुलिस ने अवैध धंधा करने वालों की कमर तोड़ रखी थी।

100 को किया था तड़ीपार

पाटिल नक्सल प्रभावित गढ़चिरोली में भी पुलिस अधीक्षक की ज़िम्मेदारी संभाल चुके हैं और वहां से उनका तबादला सतारा हुआ था। अब उन पर पुणे ग्रामीण को अपराध मुक्त करने का दायित्व है। पाटिल को सतारा का सिंघम कहा जाता था, उन्होंने शहर की फिजा ख़राब करने वाले 100 से ज्यादा शातिर अपराधियों पर मोका के तहत कार्रवाई करते हुए तड़ीपार किया था।

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गलती पर अपनों को भी नहीं बख्शा

आकर्षक व्यक्तित्व के पाटिल का कामकाज भी आकर्षित करने वाला है। उनकी यही कोशिश रहती है कि पुलिसकर्मी अपना काम ठीक ढंग से करें और आम जनता का विश्वास हासिल करें। और जो उनके मानदंडों पर खरा नहीं उतर पाता उसके खिलाफ कार्रवाई करने में भी वो नहीं चूकते। पाटिल ने सतारा में ऐसे 30 पुलिसकर्मियों पर कार्रवाई की थी।

हक को याद रखेगा शहर

मुंबई में एंटी-टेररिज्म स्क्वायड (एटीएस) के उपमहानिरीक्षक की ज़िम्मेदारी संभालने वाले सुवेज हक के काम को भी शहर हमेशा याद रखेगा। आमतौर पर पुलिस अधिकारियों पर राजनेताओं का भी दबाव रहता है। कभी-कभी उन्हें दबाव में बहुत कुछ ऐसा भी करना पड़ता है, जिसकी इज़ाज़त उनका ज़मीर नहीं देता, लेकिन हक ने कभी किसी दबाव को खुद पर हावी नहीं होने दिया। पुणे जिले में दहशत का पर्याय बन चुके कई अपराधियों पर उन्होंने मोका के तहत कार्रवाई की थी। इसके अलावा भू-माफियों पर लगाम लगाने के लिए भी वो काफी चर्चा में रहे थे।