वर्ल्ड टाइगर डे: जंगलों में बढ़ रही बाघों की दहाड़

पुणे | समाचार ऑनलाइन

आज यानी 29 जुलाई को अंतर्राष्ट्रीय बाघ दिवस है और यह खुशी की बात है कि देश के जंगलों में बाघों की दहाड़ बढ़ती जा रही है। साल 2014 में आखिरी बार हुई जनगणना के अनुसार देश में 2226 बाघ हैं, ये आंकड़ा 2010 में हुई जनगणना के हिसाब से काफी ज्यादा है। 2010 में देश में केवल 1706 बाघ रह गए थे, लेकिन तमाम गैरसरकारी संगठनों और सरकार के प्रयासों से इनकी संख्या अब फिर से बढ़ने लगी है।

दरअसल, बाघों के संरक्षण के लिए सबसे पहले 1973 में कदम उठाये गए थे। तब सरकार ने प्रोजेक्ट टाइगर लॉन्च किया गया था। 1973-74 में देश में 9 टाइगर रिज़र्व थे जो अब अब बढ़कर 50 पहुंच गए हैं, इनमें से 6 अकेले महाराष्ट्र में हैं। भारतीय वन्य जीव संस्थान (डब्ल्यूआईआई) के वरिष्ठ वन्यजीव वैज्ञानिक वाई.वी झाला के अनुसार देश में बाघों के लिये पर्याप्त वन क्षेत्र हैं, लेकिन समस्या उनके भोजन को लेकर है। इसके अलावा, बढ़ते शिकार और घटते जंगलों ने भी हमारे राष्ट्रीय पशु के संरक्षण को लेकर चिंताएं बढ़ा दी हैं। वहीं, जानी मानी वन्य जीव संरक्षणवादी प्रेरणा सिंह बिंद्रा ने कहा कि यदि हम ऐसे ही जंगलों को नष्ट करते रहे तो बाघों का भविष्य अनिश्चित है।

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कैसे हुई शुरुआत?

अंतर्राष्ट्रीय बाघ दिवस 29 जुलाई को मनाने का फैसला वर्ष 2010 में सेंट पिट्सबर्ग बाघ समिट में लिया गया था, क्योंकि तब जंगलों में रहने वाले बाघ विलुप्त होने के कगार पर थे। इस सम्मेलन में बाघ की आबादी वाले 13 देशों ने वादा किया था कि वर्ष 2022 तक वे बाघों की आबादी दोगुनी कर देंगे।