अब नोटबन्दी जैसा झटका लगने की बारी भाजपा की

शिवसेना के मुखपत्र में सत्तादल पर निशाना
पुणे। समाचार ऑनलाइन

जैसे जैसे लोकसभा चुनाव करीब आते जा रहे हैं, वैसे वैसे भाजपा के सबसे पुराने साथी शिवसेना के तेवर कड़े होते जा रहे हैं। कभी ताजा घटनाक्रम तो कभी सियासी गतिविधियों, कभी सभा- सम्मेलन तो कभी संपादकीय में शिवसेना सत्तादल को आड़े हाथ लेने का कोई मौका नहीं छोड़ रही है। अब शिवसेना ने अपने मुखपत्र दोपहर का सामना के संपादकीय के जरिए भाजपा पर निशाना साधते हुए कहा है कि, 2019 में नोटबन्दी जैसा झटका लगने की बारी अब भाजपा की है।

[amazon_link asins=’B07CPMH4NX,B07BH18HMJ,B0756T3PP9′ template=’ProductCarousel’ store=’policenama100-21′ marketplace=’IN’ link_id=’0acc70d4-965f-11e8-be3e-47fbd44d5426′]

अब से ‘जुमलों’ का गुलदस्ता मुरझा जाएगा, शीर्षक तले लिखे संपादकीय में शिवसेना ने कहा, लगभग सभी राज्यों में चुनावी हवा विपक्षी गठबंधन के पक्ष में बह रही है और पिछले डेढ़ साल से लोगों ने अपना मन बना लिया है कि वे भाजपा को एक तगड़ा झटका देंगे। कांग्रेस, बहुजन समाज पार्टी और समाजवादी पार्टी के उत्तर प्रदेश में गठबंधन से दिल्ली जाने वाले मार्ग पर एक बड़ी बाधा आ गई है। ऐसी ही खबरें बिहार से भी हैं जहां कांग्रेस और राष्ट्रीय जनता दल अन्य दलों के साथ मिलकर गठबंधन बना रहे हैं। केंद्र में सत्ता परिवर्तन के मजबूत संकेत दिखाई दे रहे हैं।
राजनीतिक पंडित पहले से ही अनुमान जता रहे हैं कि अगले संसदीय चुनाव में उत्तर प्रदेश का गणित 2014 के मुकाबले पलट सकता है। 2014 में भाजपा ने 80 लोकसभा सीटों में से 71 पर कब्जा जमाया था। प्रत्येक राज्य में भाजपा से मोहभंग होना इसका सबूत है और जहां लोग पिछले वादों को लेकर जवाब मांग रहे हों तो उसका सही विकल्प उन्हें जाति की राजनीति में उलझाने का होता है। सत्ताधारियों ने इसे भांप लिया है और इसी पर उन्होंने अपना चुनावी अभियान शुरू कर दिया है। सामान्य परिस्थितियों में इस तरह की जल्दबाजी कभी नहीं देखी गई, जब सरकार और उसके प्रमुख चुनाव से लगभग एक साल पहले पूरे लाव लश्कर के साथ मैदान में उतर आए हों।
अब जनता को लगने लगा है कि लोकतंत्र को मजबूत करने के लिए प्रधानमंत्री और मुख्यमंत्रियों को नैतिक आधार पर चुनाव अभियान क्षेत्र से दूर रहना चाहिए। लोगों ने आपको काम करने के लिए चुना है न कि पार्टी के कर्तव्यों को पूरा करने के लिए। जिन लोगों ने धोखा महसूस किया है, उन्हें बहुत अच्छे से पता है कि नोटबंदी के बम के समान सबक कैसे सिखाया जाए। महाराष्ट्र, उत्तर प्रदेश, बिहार, गुजरात और राजस्थान सहित देश के सभी हिस्सों में अशांति बढ़ रही है।