पत्नी पीड़ित पुरुषों ने रावण के बजाय जलाया शूर्पणखा का पुतला

औरंगाबाद | समाचार ऑनलाइन – दशहरे के अवसर पर रावण का पुतले को दहन करने की प्रथा है। लेकिन औरंगाबाद में इस साल अलग ही प्रथा देखने को मिली, पत्नी पीड़ित पुरुषों ने रावण के बजाय शूर्पणखा का पुतला दहन किया। औरंगाबाद के कारोली गांव में यह घटना घटी। पत्नी  पीड़ित पुरुष संगठन के कार्यकर्ताओं ने रावण के बजाय बहन शूर्पणखा का प्रतिकात्मक पुतला दहन किया, यह चर्चा वहां जोरों पर है।

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कुछ पत्नी पीड़ित पुरुष एक साथ आकर उन्होंने पत्नी पीड़ित पुरुष संगठन की स्थापना की। इस संगठन के सदस्यों ने औरंगाबाद के कारोली गांव में शूर्पणखा का पुतला दहन किया। इस बारे में पत्नी पीड़ित पुरुष संगठन के संस्थापक भारत फुलारे ने कहा कि भारत के सभी कानून पुरुषों के खिलाफ और महिला के हक में है। महिलाएं इन कानून का इस्तेमाल कर पति और बाकी पुरुषों को प्रताड़ित करती है। इसलिए महिलाओं द्वारा अन्याय सहन करनेवालों ने निषेध के रुप में प्रतिकात्मक के लिए रावण के बजाय शूर्पणखा का पुतला दहन किया। 2015 के आंकडो की माने तो 74 प्रतिशत विवाहित पुरुषों ने सुसाइड किया है। पुरुषों पर होनेवाले अन्याय की हम कल्पना भी नहीं कर सकते हैं। ऐसा फुलारे ने कहा।

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संगठन के कुछ सदस्यों ने मी टू मुहिम पर टिप्पणी की। रामायण में शूर्पणखा ने ही राम और रावण के युद्ध के लिए जिम्मेदार थी। शूर्पणखा के अपमान का बदला लेने के लिए रावण ने सीता का अपहरण किया था। उसके बाद राम और रावण के बीच युद्ध हुआ था। दशहरे में रावण दहन की प्रथा को तोड़ते हुए पत्नी पीड़ित पुरुष संगठन ने शूर्पणखा का पुतला दहन किया।