इस समारोह के मंच पर विधायक राहुल कुल, पिंपरी चिंचवड के महापौर राहुल जाधव, चाटे इंस्टिट्यूट के फूलचंद चाटे, चोरडिया ग्रुप के डॉ संजय चोरडिया, विचारवन्त दत्ता कोहिनकर, उद्यमी संतोष धनकवडे, गणेश गायकवाड और पद्मा प्रतिष्ठान और डॉ बाबासाहेब आम्बेडकर संघर्ष समिति के संस्थापक अध्यक्ष शशिकांत कांबले इस अवसर पर उपस्थित थे।
इस समारोह में ताराबाई साष्ठे को ‘वीर पत्नी सन्मान’ से नवाज़ा गया, फुलचंद चाटे और डॉ संजय चोरडिया को शिक्षा क्षेत्र में उनके योगदान के लिए पुरस्कार दिया गया, डॉ वैशाली जाधव को मेडिकल फील्ड में बेटी बचाओ क्षेत्र में उनके योगदान के लिए पुरस्कार दिया गया, सामाजिक कार्यो के लिए उदय जगताप को सन्मान दिया गया और धीरज घाटे को साने गुरुजी तरुण मंडल के माध्यम से सामाजिक कार्यो में उनके योगदान के लिए सम्मानित किया गया।
अपने संबोधन में बिट्टा ने कहा, जब तक सभी राजनीतिक दल एक साथ नहीं आते, तब तक आतंकवाद खात्मा नहीं हो सकता है। क्या हम खुद को स्वतंत्र मान सकते हैं, जबकि आज भी हम जात-पात, ऊंच-नीच का भेदभाव रखते हैं। समाज को ऊपर लाना और इसके कल्याण के लिए काम करना यही हमारा पहला कर्तव्य है। मेरे विचार स्वतंत्र हैं, मैं किसी भी जाति या धर्म से संबंध नहीं रखता हूँ। मेरा धर्म भारत माता है और मेरी जाति वंदे मातरम् है। खुद को हम मॉडर्न मानते है पर आज भी ऊंच-नीच की भावना के साथ घृणा में जीते है।
शशिकांत कांबले ने कहा, “हर साल, पद्मा प्रतिष्ठान और डॉ बाबासाहेब आंबेडकर संघर्ष समिति द्वारा उन लोगों को पुरस्कार प्रदान कर के सम्मानित किया जाता है, जो संघर्षों पर जीत हांसिल कर के अपने जीवन में सफल होते हैं। यह पुरस्कार समारोह का आठवां वर्ष था। इन लोगों का सम्मान करने का मक़सद आगामी पीढ़ियों के लिए एक उदाहरण स्थापित करना है।”