पिंपरी चिंचवड़ के नए महापौर की घोषणा चंद घंटों में!

पिंपरी। पुणे समाचार ऑनलाइन

मौजूदा महापौर नितिन कालजे और उपमहापौर शैलजा मोरे के इस्तीफे के बाद रिक्त हुई सीटों के लिए मंगलवार को दोपहर तीन से शाम पांच बजे तक नामांकन पत्र दाखिल किये जाने हैं। सत्तादल भाजपा को पूर्ण से भी ज्यादा बहुमत हासिल रहने से उसी का महापौर और उपमहापौर चुना जाना तय है। नतीजन 4 अगस्त को घोषित चुनाव महज औपचारिकता भर साबित होगा। पिंपरी चिंचवड़ का अगला महापौर कौन होगा? इसकी घोषणा चंद घँटों की दूरी पर रहने से उत्सुकता सतह पर पहुंच गई है।

ढाई साल का महापौर पद ओबीसी प्रवर्ग के लिए आरक्षित है। सत्तादल भाजपा ने सवा- सवा साल में दो नगरसेवकों को इस पद पर मौका देने की नीति तय की है। भाजपा के पहले महापौर के रूप में नितिन कालजे और उपमहापौर पद पर शैलजा मोरे को मौका मिला। उनका कार्यकाल समाप्त होने से कई सियासी घटनाक्रमों के बाद दोनों ने अपने अपने इस्तीफे सौंप दिये। नए महापौर के लिए 4 अगस्त को पीएमपीएमएल की अध्यक्ष और प्रबंध निदेशक नयना गुंडे की अध्यक्षता में बुलाई गई विशेष सर्व साधारण सभा में चुनाव होने जा रहे हैं। आज इसके लिए नामांकन पत्र दाखिल किए जाने हैं।

कौन- कौन है इच्छुक

128 सदस्योंवाले मनपा के सभागृह में भाजपा के सर्वाधिक 82 नगरसेवक रहने से उसी का महापौर और उपमहापौर चुना जाना तय है। देखना यह है कि भाजपा किसे अपना प्रत्याशी घोषित करती है? महापौर पद के लिए भोसरी के विधायक महेश लांडगे गुट के राहुल जाधव, सन्तोष लोंढे, वसन्त बोराटे, शहराध्यक्ष और चिंचवड़ के विधायक लक्ष्मण जगताप गुट के शत्रुघ्न काटे, शशिकांत कदम और पुराने व निष्ठावान गुट के नामदेव ढाके, शीतल शिंदे आदि इच्छुक हैं। पिछले बार महापौर पद विधायक लांडगे गुट और स्थायी समिति अध्यक्ष विधायक जगताप गुट को मिला था। इस साल इसके विपरीत होना तय था, मगर स्थायी समिति अध्यक्ष पद के चुनाव में जगताप गुट की कारगुजारी लांडगे गुट पर मात कर गई।

क्या- क्या चले गए दांव

नतीजन इस बार भी महापौर पद अपने गुट के पास रहे इसके लिए विधायक लांडगे जी तोड़ कोशिशों में लगे हैं। वहीं पिछले साल दोनों अहम पद भोसरी विधानसभा क्षेत्र में दिये जाने से इस बार स्थायी समिति अध्यक्ष के बाद महापौर पद भी चिंचवड़ विधानसभा क्षेत्र को मिले इसके लिए विधायक जगताप प्रयत्नशील हैं। दोनों विधायकों और पुराने निष्ठावान गुटों के बीच प्रेस कांफ्रेंस के जरिए जाति का कार्ड खेलने से लेकर वरिष्ठ स्तर पर लॉबिंग और दबाव बनाने तक के दांव- प्रतिदांव चले जा रहे हैं। इस कड़ी में मूल ओबीसी को महापौर पद देने, माली समाज को प्रतिनिधित्व देने, लेवा पाटीदार और खान्देश को मौका देने जैसे मुद्दे उठाकर शीर्ष नेताओं पर दबाव बनाने की कोशिश की गई। हाँलाकि हाइकमान ने भाजपा की नीति और परंपरा की याद दिलाते हुए लॉबिंग या दबाव नीति अपनाने की बजाय पार्टी के आदेश का इंतजार करने की सलाह दी गई है।