Pune: अलॉटमेंट लेटर वैध न होने पर फ्लैट का दावा खारिज, ‘महारेरा’ का फैसला, शिकायतकर्ता को उसके पैसे मिलेंगे वापस

पुणे: फ्लैट के अलॉटमेंट लेटर देने का अधिकार न होने के बाद भी उस व्यक्ति से लेटर लेकर घर पर हक जमाने वाले व्यक्ति के दावे को महारेरा ने खारिज किया है। संबंधित दावे को रेरा ने रद्द करते हुए निर्माण व्यवसायिक कंपनी के संचालक द्वारा लिए गए पैसे को शिकायतकर्ता के फैसले के बाद एक महीने के अंदर वापस करने का आदेश दिया है। महारेरा के न्यायाधीश डॉ. विजय सतबीर ने फैसला सुनाया है।

इस मामले कि विस्तृत जानकारी ऐसी है कि रमेश मेहता ने हैमी कंस्ट्रकशन प्रा. लि. और संचालक रफीक जाफरानी, हसनेन रफीक जाफरानी और आरफाना रफीक जाफरानी के खिलाफ दावा किया था। शिकायतकर्ता द्वारा किए गये शिकायत के अनुसार मेहता ने बिल्डर के हैमी पार्क प्रोजेक्ट में 37 लाख 71 हजार रुपये का फ्लैट बुक किया था। इसके लिए बुकिंग अमाउंट के रूप में 7 लाख रुपये दिए थे। इस लेनदेन का करार और फ्लैट का अलॉटमेंट लेटर लेने के लिए वो ऑफिस कार्यालय गये। उस समय हसन रफीक जाफरानी ने अलॉटमेंट लेटर दिया।

बिल्डर ने पैसे बुकिंग के लिए नहीं बल्कि अन्य कामों के लिए ब्याज के रूप में लिया था। इसलिए मेहता ए कंपनी पर दबाव डालकर पैसे के बदले फ्लैट के एक अलॉटमेंट लेटर पर साईन लेकर कंपनी को नोटिस भेजना शुरू किया। शिकायतकर्ता ने ऐसी तस्वीर बनाई कि सात लाख रुपये की रकम कंपनी को हैमी पार्क में प्लॉट की बुकिंग रकम के रूप मे दिया। साथ ही अलॉटमेंट लेटर पर जिसका साईन है, उसे यह लेटर देने का अधिकार नहीं है, ऐसा बिल्डर की ओर से कोर्ट में कहा गया। बिल्डर की ओर से एड. गंधार सोनीस और एड. अभिषेक जगताप ने कामकाज देखा।

फैसले का मुद्दा

–    घर का पजेशन मिलने के लिए शिकायतकर्ता द्वारा प्रस्तुत किया गया लेटर वैध है, ऐसा वो साबित नहीं कर पाए

–    उस ओअर साईन करने वाला व्यक्ति कंपनी का आधिकारिक पदाधिकारी है कि नहीं यह जांचना शिकायतकर्ता का काम था

–    रेरा की वेबसाईट पर जाकर कंपनी का संचालक कौन है, यह देखना शिकायतकर्ता का कर्तव्य था

–    खुद की गलती की वजह से उसे महारेरा का दरवाजा नहीं खटखटाना चाहिए।