Pune | अंगदान के बारे में जागरुकता बढ़ाने की जरूरत: डॉ साबले
पुणे : Pune | भारत में स्वास्थ्य सेवा महानिदेशालय के अनुसार, देश में किडनी फेल्योर (Kidney Failure) के 1.8 लाख मरीज हैं, जिनमें से सिर्फ 6000 रोगियों का ही ट्रांसप्लांट (Transplant) हो पाता है। इसलिए ब्रेन डेड मरीजों (Brain Dead Patient) के रिश्तेदारों को अंगदान (Organ Donation) के महत्व को समझने और ब्रेन डेड व्यक्ति के अंगदान के बारे में जागरूकता बढ़ाने की जरूरत है। ऐसा डॉ. डी. वाई पाटिल मेडिकल कॉलेज (Dr. D.Y Patil Medical College) के प्रोफेसर और यूरोलॉजी विभाग के प्रमुख विलास पी. साबले (Vilas P. Sable) ने विश्व किडनी दिवस (World Kidney Day) के मौके पर कहा। इस मौके पर डी. वाई. पाटिल मेडिकल कॉलेज के नेफ्रोलॉजी के सहायक प्रोफेसर डॉ. पवन वाखारे (Dr. Pawan Wakhare) भी उपस्थित (Pune) थे।
अगर किडनी काम नहीं कर रही है तो जान को खतरा हो सकता है। इसे आमतौर पर किडनी फेल्योर के रूप में जाना जाता है। मरीज को जीवित रहने के लिए नियमित डायलिसिस (Dialysis) या किडनी ट्रांसप्लांट (Kidney Transplant) की आवश्यकता हो सकती है, ऐसा साबले ने कहा।
डॉ. डी. वाई पाटिल मेडिकल कॉलेज में अब तक 120 किडनी ट्रांसप्लांट किए जा चुके हैं। इनमें से 30 ट्रांसप्लांट ब्रेन डेड मरीजों के हैं। भारत स्वास्थ्य सेवा महानिदेशालय (India Directorate General of Health Services) के अनुसार, भारत में हर साल किडनी फेल्योर के अनुमानित 1.8 लाख मामले आते हैं। हालांकि, वार्षिक ट्रांसप्लांट की संख्या केवल 6,000 है। किडनी डोनर की कमी के कारण ऐसा होता है, यह जानकारी (Pune) साबले ने दी।