मुंबई, 10 नवंबर वास्तु विशारद अन्वय नाईक की आत्महत्या मामले में गिरफ्तार रिपब्लिक चैनल के संपादक अर्णब गोस्वामी की जांच को अलीबाग सत्र न्यायलय ने सोमवार को हरी झंडी दिखा दी। गोस्वामी को तलोजा जेल में रखा गया है। वहां हर दिन तीन घंटे पूछताछ करने की परमिशन कोर्ट ने पुलिस को दी है। वही हाई कोर्ट ने गोस्वामी को जमानत देने से इंकार कर दिया जिसके बाद उनकी मुश्किलें बढ़ गई है।
अर्णब गोस्वामी को भेजे गए जेल की सजा को रायगढ़ पुलिस ने जिला सत्र न्यायलय में चुनौती दी थी। इस पर सोमवार को सुनवाई हुई। पुलिस ने गोस्वामी से पूछताछ के लिए तीन घंटे का समय मांगा था जिसे कोर्ट ने मंजूर कर लिया।
दूसरे आरोपी नीतीश सारडा के वकील ने अलीबाग जिला सत्र न्यायलय में दायर पुर्नरीक्षण आवेदन क़ानूनी कसौटी पर टिकेगा क्या ? यह सवाल खड़ा किया था। इस पर आज सुनवाई होगी। इस वक़्त गोस्वामी की जमानत पर भी सुनवाई हो सकती है। यह जानकारी अर्णब के वकील ऐंड, अंकित बंगेरा ने दी है।
गृह मंत्री ने दिया यह जबाव
राज्यपाल भगत सिंह कोश्यारी ने अर्णब के परिवार को जेल में जाकर मिलने की परमिशन देने के लिए फ़ोन किया था। लेकिन कोरोना को देखते हुए चार महीने से सभी जेल में कैदियों को परिवार से मिलने से मनाही है। संक्रमण के खतरे को देखते हुए यह निर्णय लिया गया है। गृहमंत्री अनिल देशमुख से साफ कर दिया है कि परिवार अर्णब से जेल में नहीं मिल सकता है लेकिन वह फ़ोन पर बात कर सकते है।
क्या कहा हाई कोर्ट ने
अन्वय नाईक और उनकी मां कुमुद नाईक की आत्महत्या मामले में आगे की जांच राज्य सरकार दावरा करना गैर क़ानूनी नहीं है। पुलिस पूछताछ करने के लिए दंडाधिकारी से परमिशन ले सकती है। हाई कोर्ट ने अर्णब की जमानत याचिका ख़ारिज करते हुए यह महत्वपूर्ण आदेश दिया है।
राज्य सरकार को राहत
हाई कोर्ट ने अपने 56 पेज के आदेश में कहा है कि इस मामले की अधिक जांच करने के संदर्भ में राज्य सरकार दवारा दिया गया आदेश गैर क़ानूनी या इसके लिए दंडाधिकारी की परमिशन नहीं ली. ऐसा नहीं कहा जा सकता है। जिस तरह से राज्य सरकार ने आगे की जांच के आदेश दिए है वह दे सकती है। पुलिस को किसी मामले में जांच के लिए दंडाधिकारी की परमिशन लेना जरुरी नहीं है। आरोपी के मुलभुत अधिकार की तरह पीड़ित का भी अधिकार महत्वपूर्ण है।