राज्यसभा चुनाव…वाया केरल गुलाम नबी को ‘दिल्ली’ पहुंचाएगी कांग्रेस   

नई दिल्ली.  ऑनलाइन टीम : राज्यसभा में मौजूदा विपक्ष के नेता गुलाम नबी आजाद का कार्यकाल समाप्त हो रहा है और कांग्रेस दिल्ली में उन्हें बरकरार रखना चाहती है, इसलिए कयास तेज हो गए हैं। चूंकि कश्मीर में फिलहाल कोई चुनाव नहीं, इसलिए अन्य प्रदेश से उन्हें राज्यसभा में भेजे जाने की अटकलें लगाई जा रही है। ऐसे में चर्चा है कि वो केरल से राज्यसभा के लिए चुनाव लड़ सकते हैं, जहां अप्रैल के महीने में तीन सीटें खाली होने वाली हैं।

जिन तीन सदस्यों का कार्यकाल समाप्त हो रहा है उनमें से एक दिग्गज कांग्रेसी नेता वायलार रवि और दूसरे अब्दुल वहाब हैं, जो इंडियन यूनियन मुस्लिम लीग (आईयूएमएल) से हैं। चूंकि केरल में अप्रैल-मई में विधानसभा चुनाव होने वाले हैं, इसलिए कांग्रेस को उम्मीद है कि आजाद, मुस्लिम होने के साथ, समुदाय के साथ एक प्लस पॉइंट साबित हो सकते हैं। केरल में मुस्लिम आबादी करीब 22 प्रतिशत है और यह हिंदुओं के बाद दूसरा सबसे बड़ा समुदाय है। ईसाइयों की संख्या लगभग 19 फीसदी है।

पिछले साल, केरल के कांग्रेस नेता के.सी. वेणुगोपाल को राजस्थान से राज्यसभा में लाया गया था और इसलिए यह आश्चर्य की बात नहीं होगी, अगर आजाद केरल से राज्यसभा आते हैं। कांग्रेस सूत्रों का कहना है कि पार्टी को राज्यसभा में एक मुखर नेता की जरूरत है। सूत्रों का ये भी कहना है कि राज्यसभा का कार्यकाल समाप्त होने के बाद आजाद जम्मू और कश्मीर की राजनीति में वापस जा सकते हैं, जहां विधानसभा फिलहाल भंग है।

आजाद 2015 में जम्मू-कश्मीर से राज्यसभा के लिए चुने गए थे। इस कयास पर  केरल के कांग्रेसी नेता अंदर ही अंदर खुश हैं, क्योंकि  हाई कमान की नाराजगी मोल नहीं लेना चाहता। गुलाम नबी आजाद की केरल से राज्यसभा भेजे जाने को वह कतई पसंद नहीं करेंगे, लेकिन उन्हें डर है कि विरोध करने का मतलब होगा विधानसभा चुनाव में उनका पता गोल। मतलब टिकट कटने का अंदेशा, यही कारण है कि वह खामोश रह कर स्थिति पर नजर बनाए हुए हैं।

दूसरी तरफ, यह भी कहा जा रहा है कि  कांग्रेस पार्टी उच्च सदन में नए नेता की तलाश में जुट गई है। पार्टी के संविधान के अनुसार, कांग्रेस पार्लियामेंट्री पार्टी की अध्यक्ष के रूप में सोनिया गांधी सदन में कांग्रेस के नेता का नाम तय करने के लिए अधिकृत हैं। प्रमुख विपक्षी दल होने के नाते, सदन में कांग्रेस नेता विपक्षी दलों के भी नेता होंगे। इस पद के लिए जिनका नाम सबसे आगे चल रहा है उनमें आनंद शर्मा, जो कि पार्टी के वर्तमान उप नेता हैं, पूर्व केंद्रीय मंत्री जयराम रमेश, पूर्व केंद्रीय मंत्री मल्लिकार्जुन खड़गे, जो पार्टी के दलित चेहरा हैं और लोकसभा में कांग्रेस के नेता रह चुके हैं, के नाम शामिल हैं।