बातचीत से न सुलझा तो संसद में सुलझाएंगे राम मंदिर का मसला

लखनऊ।समाचार ऑनलाइन
अगले साल होने जा रहे लोकसभा चुनाव से पहले अयोध्या का राम मंदिर मामला एक बार फिर से तूल पकड़ने लगा है। उत्तर प्रदेश के उपमुख्यमंत्री केशव प्रसाद मौर्य ने बीते दिन एक बड़ा बयान देकर इस पुराने मसले को हवा देने की कोशिश की कि, अगर राम जन्मभूमि का मुद्दा कोर्ट या आपसी बातचीत से हल नहीं होगा तो सरकार संसद में क़ानून बनाकर राम मंदिर निर्माण की दिशा में आगे बढ़ेगी। अगर बातचीत और सुप्रीम कोर्ट से राम मंदिर का मसला हल नहीं हुआ तो सरकार के पास मंदिर बनाने के लिए कानून बनाने के अलावा कोई रास्‍ता नहीं बचता है।
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अयोध्‍या में राम मंदिर बनाने का भाजपा का पुराना वादा है। फिलहाल वो इसके दो विकल्‍प बताती रही है, या तो समझौते से या फिर सुप्रीम कोर्ट के आदेश से यह मसला सुलझाया जाएगा। हांलाकि अब पहली बार उपमुख्‍यमंत्री केशव मौर्य कहते हैं कि कानून बनाना कर मंदिर बनाने का विकल्‍प भी खुला है। मौर्य ने कहा, भाजपा के लिए राम जन्‍मभूमि का मामला कोई राजनीतिक विषय नहीं है, ये हमारी आस्‍था, श्रद्धा, विश्‍वास और देश के करोड़ों रामभक्‍तों की भावनाओं से जुड़ा हुआ विषय है। आपसी समझौते के भी सार्थक प्रयास पक्षकार कर रहे हैं और सरकार उसमें पूर्ण सहयोग देने के लिए भी तैयार है। जब ये दोनों विकल्‍प समाप्‍त होंगे और हमारे पास ताकत होगी, तीसरा विकल्‍प तब आएगा।
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मौर्य के बयान को लेकर मुस्लिम संगठनों ने तीखी प्रतिक्रिया व्यक्त की है। इन संगठनों का कहना है कि राम मंदिर मुद्दे को जानबूझकर हवा दी जा रही है। इस तरह के संवेदनशील मुद्दे पर बयानबाजी सही नहीं है। ऑल इंडिया मुस्लिम पर्सनल लॉ बोर्ड के सदस्य और मुस्लिम धर्मगुरु मौलाना खालिद रशीद फिरंगी महली ने सोमवार को केशव मौर्य के बयान पर पलटवार करते हुए कहा कि राम मंदिर जैसे संवेदनशील मुद्दे पर बयान देना सही नहीं है। नेताओं को इस मामले में बयानबाजी से बचना चाहिए। उन्होंने यह सवाल भी पूछा कि जब मामला सर्वोच्च न्यायालय में है तो फिर नेता जानबूझकर ऐसे बयान क्यों देते हैं। कई चुनाव इसी मुद्दे पर पार्टियों ने लड़े हैं। जानबूझकर ऐसे मुद्दों को हवा दी जा रही है। जबकि जनता भी यह चाहती है कि एक अच्छे माहौल में न्यायालय के फैसले से हल निकले।