चीन की मदद लेनेवाले राष्ट्रों को होगा पछतावा: सेनाप्रमुख

पुणे। समाचार ऑनलाइन
बे ऑफ बंगाल इनिशिएटिव फ़ॉर मल्टी सेक्टरल टेक्निकल एन्ड इकोनॉमिक को-ऑपरेशन (बिम्सटेक) संगठन के सदस्य राष्ट्रों की पुणे में शुरू सँयुक्त मिलिट्री प्रैक्टिस ‘मिलेक्स’ का समापन बीते दिन हुआ। इस मौके पर भारतीय सेनाप्रमुख जनरल बिपिन रावत ने संवाददाताओं के साथ की गई बातचीत में कहा कि, जो भी देश आज चीन से आर्थिक मदद ले रहे हैं, उन्हें कुछ दिन बाद उसका पछतावा होगा। इसके लिए उन्होंने अमेरिका और पाकिस्तान के संबंधों का उदाहरण भी दिया।
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आतंकवाद का मुकाबला करने के लिए मिलिट्री कुशलता, तकनीक, नीतियों के आदान- प्रदान के उद्देश्य से 10 से 16 सितंबर तक पुणे के औंध मिलिट्री स्टेशन में ‘मिलेक्स’ 2018 इस सँयुक्त मिलिट्री प्रैक्टिस का आयोजन किया गया था। इसके समापन पर देश के रक्षा राज्यमंत्री डॉ सुभाष भामरे ने कहा कि, यह सँयुक्त युद्धाभ्यास सेना का कोई शक्ति प्रदर्शन नहीं है, न ही इसके जरिये किसी को चुनौती देने का कोई इरादा है। बल्कि पड़ोसी देशों की सेनाओं के साथ परस्पर सहयोग बढ़ाना, आतंकवाद का मुकाबला करने की तकनीक, कुशलता को आत्मसात करना है।

इस मौके पर सदस्य राष्ट्रों के सेनाप्रमुख उपस्थित थे। इस युद्धाभ्यास में बिम्सटेक के सदस्य राष्ट्र भारत, भूटान, बांग्लादेश, श्रीलंका, म्यांमार की मिलिट्री टुकड़ियों ने हिस्सा लिया। वहीं थाईलैंड और नेपाल राष्ट्रों के सेना अधिकारी बतौर निरीक्षक के इसमें शरीक हुए थे। नेपाल ने पहले इस युद्धाभ्यास में हिस्सा लेने की घोषणा की थी मगर बाद में इन्कार कर दिया। इसके पीछे चीन के दबाव की वजह सामने आई है, हांलाकि नेपाल ने इससे इनकार किया है।
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इस युद्धाभ्यास के समापन पर पुणे पहुंचे सेनाप्रमुख जनरल रावत ने यही धागा पकड़ते हुए कहा कि, चीन से आर्थिक मदद लेनेवाले राष्ट्रों को पछतावा होगा। भौगोलिक दृष्टि से भूटान और नेपाल भारत के पड़ोसी राष्ट्र हैं। पड़ोसियों से अच्छे संबंध बनाने और उसमें सुधार लाने के लिहाज से हमारे प्रयास निरन्तर शुरू है। नेपाल को चीन से मदद मिल रही है, कुछ दिनों बाद उन्हें इसका पछतावा होगा। इसके लिए उन्होंने अमेरिका और पाकिस्तान के संबंध का उदाहरण भी दिया। भारत अपनी सुरक्षा को लेकर सक्षम है, भविष्य में कभी सहयोगी राष्ट्रों की जरूरत पड़े तो वे पीछे नहीं हटेंगे। सँयुक्त युद्धाभ्यास से यही सहयोग की भावना वृद्धिंगत होती है।