भाजपा नगरसेवक कुंदन गायकवाड़ को राहत या खतरा कायम ?

पिंपरी । समाचार ऑनलाइन

जाति प्रमाणपत्र अवैध करार दिए जाने से भाजपा के कुंदन गायकवाड़ का नगरसेवक पद रद्द कर दिया गया है। बुलढाणा की जाति पडतालनी समिति के फैसले पर नागपुर हाईकोर्ट ने ‘स्टे’ (रोक) आदेश जारी किया है। इससे पिंपरी चिंचवड़ मनपा प्रशासन की दुविधा बढ़ गई है। चूंकि रोक का यह आदेश मनपा आयुक्त श्रावण हार्डिकर द्वारा नगरसेवक पद रद्द करने की कार्रवाई के बाद आया है। अतः कानूनी विभाग से सलाह-मशवरे के बाद इसका फैसला होगा, ऐसा मनपा के अतिरिक्त आयुक्त प्रवीण आष्टिकर ने बताया। वहीं राज्य सरकार द्वारा जाति पडतालनी प्रमाणपत्र पेश करने की बढ़ाई गई छह माह की मियाद भी कल (12 अक्टूबर) खत्म होने जा रही है। ऐसे में हाईकोर्ट का ‘स्टे’ कुंदन गायकवाड़ को राहत देगा या नहीं? यह संभ्रम निर्माण हुआ है।

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गौरतलब हो कि कुंदन गायकवाड ने चुनाव के लिए नामांकन पर्चा भरते वक्त कैकाडी जाति का प्रमाणपत्र पेश किया था। चुनाव में उनके प्रतिस्पर्धी नितिन रोकड़े ने उनके जाति प्रमाणपत्र पर आपत्ति जताई थी। इसके अनुसार बुलढाणा की जाति प्रमाणपत्र पडतालनी समिति ने पूरी जाँच पड़ताल के बाद उनका प्रमाणपत्र अवैध करार दिया। इस फैसले को गायकवाड़ ने हाईकोर्ट में चुनौती दी थी जिसपर कोर्ट ने इस फैसले पर रोक लगाई थी। रोक की मियाद सम्पत होने के बाद बुलढाणा की जाति प्रमाणपत्र पडतालनी समिति ने कुंदन गायकवाड़ का प्रमाणपत्र अवैध करार दिया। साथ ही इस प्रमाणपत्र के आधार पर लिए गायकवाड़ को दिए गए सभी सरकारी लाभ लौटाने और फर्जीवाडे के जरिये सरकार के साथ धोखाधड़ी करने को लेकर उनके खिलाफ मामला दर्ज करने के आदेश दिए हैं।

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मनपा प्रशासन ने इस फैसले से राज्य सरकार को अवगत कराने के बाद कुंदन गायकवाड़ की सदस्यता खारिज कर दी। अब हाईकोर्ट ने जाति पडतालनी समिति के आदेश पर रोक आदेश जारी किया है। इसकी प्रति गुरुवार को मनपा को मिल गई, आयुक्त ने इस पर कानूनी विभाग से राय मांगी है। बहरहाल सुप्रीम कोर्ट ने चुनाव के छह माह के भीतर जाति प्रमाणपत्र न पेश करनेवाले नगरसेवकों के पद रद्द करने के आदेश दिए हैं। राज्य सरकार ने छह की बजाय एक वर्ष की मियाद निश्चित कर ऐसे नगरसेवकों को राहत दी है। यह अंतिम मियाद भी खत्म होने को है। 12 अक्टूबर तक जाति प्रमाणपत्र पेश न करने पर कुंदन गायकवाड़ के साथ भाजपा की ही यशोदा बोइनवाड़ की सदस्यता भी खतरे में आ गई है।हाईकोर्ट का ‘स्टे’ कुंदन गायकवाड़ को राहत देगा या नहीं? इस पर सवालिया निशान लग गया है।

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