83 की उम्र में वाहन निर्मिति क्षेत्र के लिए रिसर्च

पिंपरी। समाचार ऑनलाइन

कहते हैं सीखने और रिसर्च के लिए उम्र की कोई सीमा नहीं होती। छोटी से छोटी आयु में भी शिक्षा और रिसर्च के क्षेत्र में नए आविष्कार से अच्छे अच्छों को चकित किया जा सकता है। ऐसे ही एक रिसर्च से भारतीय नौसेना के एक रिटायर्ड इलेक्ट्रॉनिक इंजीनियर ने उम्र के 83वें साल में सभी को दांतों तले उंगलियां चबाने के लिए विवश कर दिया। वाहन निर्मिति क्षेत्र में उनका रिसर्च इस क्षेत्र की कंपनियों की लागत में 400 से 500 करोड़ रुपए की बचत करने वाला साबित होगा।

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यह बुजुर्ग रिसर्चर कोई और नहीं बल्कि जोगिंदरपाल सिंह पुरी हैं जिन्होंने 83 की उम्र में वाहन निर्मिती क्षेत्र के लिए अपना नया पेटंट दाखिल किया। उन्होंने कार में तापमान, ईंधन और बैटरी के सटीक निर्देशन में रिसर्च किया, जिससे वाहनचालकों को एक ही समय मे सभी पैरामीटर एक ही जगह में दिखाई देने की सुविधा मिलेगी। आज की तारीख में देश में सालाना दस लाख से ज्यादा वाहनों की निर्मिती होती है। पूरी के इस रिसर्च से वाहन उत्पादन कंपनियों की लागत में 400 से 500 करोड़ रुपए की बचत हो सकेगी।

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जोगिंदरपाल सिंह पुरी भारतीय नौसेना में बतौर इलेक्ट्रॉनिक इंजीनियर कार्यरत थे, उन्होंने 1965 और 1971 में भारत- पाकिस्तान युद्ध मे भी हिस्सा लिया था। 1971 में उन्होंने अपना पहला पेटंट पेश किया था। इसके बाद भी उनके लगातार नए- नए पेटंट पेश होते रहे। हाल ही में उन्होंने 83 की उम्र में वाहन निर्मिती क्षेत्र के लिए नया रिसर्च किया था। उसका पेटंट भी हालिया पेश किया गया। इसके लिये उनकी पुत्री और जेएसपीएम कॉलेज की पीजी प्रोग्राम की निदेशक मणिमाला पुरी ने उनकी मदद की।

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83 की उम्र में जोगिंदरपाल सिंह पुरी के पेटंट और उनके जज्बे की दखल लेते हुए भूतपूर्व सैनिक संगठन ने उनका विशेष गौरव करने के लिए कार्यक्रम आयोजित किया था। हालांकि उससे पहले ही पुरी का देहावसान हो गया। रविवार को हुए एक समारोह में उनकी पुत्री मणिमाला पुरी ने यह सम्मान स्वीकारा। स्व. पुरी अपनी उम्र और तबीयत की परवाह किये बिना आखिरी सांस तक रिसर्च करते रहे। उन्हें और भी कई रिसर्च करने थे, ऐसा वे हमेशा कहते। उनके रिसर्च नई पीढ़ी को हमेशा प्रेरणा देते रहेंगे।