आरक्षण जातियों के नहीं आर्थिक आधार पर ही हों: राज ठाकरे

पुणे। समाचार ऑनलाइन
मराठा आरक्षण के आंदोलन की पृष्ठभूमि पर अपनी भूमिका स्पष्ट करते हुए महाराष्ट्र नवनिर्माण सेना (मनसे) सुप्रीमो राज ठाकरे ने शुक्रवार को पुणे में कहा, आरक्षण के मुद्दे पर मेरी पहले से भूमिका स्पष्ट है। आरक्षण जातियों के नहीं बल्कि आर्थिक आधार पर ही होना चाहिए। आरक्षण की मांग के लिए काकासाहेब शिंदे नामक युवक ने नाहक अपनी जान गंवाई। महाराष्ट्र में फिर कोई ऐसा कदम न उठाए, इसका ध्यान रखना चाहिए। पहले और अभी दोनों ही सरकार लोगों की भावनाओं के साथ खिलवाड़ कर रही है, यह आरोप भी उन्होंने लगाया।
पुणे में मनसे कार्यकर्ताओं के सम्मेलन के लिए पहुंचे ठाकरे ने युवाओं से अपील की कि, आप लोग हालात को समझने की कोशिश करें। मूलतः नौकरी में आरक्षण देने से कोई लाभ नहीं होगा क्योंकि सरकारी नौकरी दिन ब दिन घटती जा रही है। निजी क्षेत्र में ही भारी अवसर उपलब्ध होंगे। निजी क्षेत्र में स्थानीयों को नौकरी देने का आरक्षण रखा गया तो किसी को भी आरक्षण की जरूरत नहीं पड़ेगी। हमारे यहां की नौकरियों पर परप्रांतियों का अतिक्रमण हो रहा है। उन्होंने यह आरोप भी लगाया कि महाराष्ट्र में जातीयता का जहर घोला जा रहा है।
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दिवंगत स्व. प्रधानमंत्री वीपी सिंह के फैसले से देश में जातीयता का जहर घोला गया। देश में फिलहाल केवल वोटों की सियासत शुरू है। प्रधानमंत्री किसी राज्य का नहीं बल्कि देश का होता है। उसे पूरे देश का प्रतिनिधित्व करने चाहिये। यह कटाक्ष करते हुए ठाकरे ने युवाओं को चेताया कि संभल जाइये, राजनेता आपका केवल इस्तेमाल भर कर रहे हैं। सत्तादल भाजपा पर निशाना साधते हुए उन्होंने कहा कि, कब चुनाव के दौरान भाजपा को राम मंदिर की याद फिर आएगी। भाजपाध्यक्ष अमित शाह ने खुद इसके संकेत दिए। चुनाव जीतने के तुरंत बाद मंदिर निर्माण का काम शुरू किया जाना चाहिए था। अब जब दूसरा चुनाव करीब आया तो भाजपा को पुनः राममंदिर की याद आयी है, यह टिप्पणी भी उन्होंने की।