Pune Ring Road Project | पुणे का महत्वाकांक्षी रिंग रूट व्यावहारिक है क्या ? – हाईकोर्ट

मुंबई (Mumbai News), 12 अगस्त : पुणे की ट्रैफिक की भीड़ को कम करने के लिए तैयार किया गया  महत्वाकांक्षी रिंग रूट प्रोजेक्ट (Pune Ring Road Project) अभी भी आर्थिक और तकनीकी दृष्टि से व्यावहारिक है  क्या ? यह सवाल आज मुंबई हाई कोर्ट (Mumbai High Court) ने खड़ा किया है।  1994 के पुणे के प्रादेशिक डेवलपमेन्ट प्लांट (regional development plant) के अनुसार 128 किलोमीटर की रिंग रोड प्रोजेक्ट शहर (Pune Ring Road Project) को जोड़ने के लिए निश्चित की गई  और वाहनों की वजह से पुणे (Pune) में प्रदुषण का बढ़ा स्तर नियंत्रित हो सकेगा।  ऐसा प्लान तैयार किया गया था।  2016 में गेरा डेवलपमेंट्स प्राइवेट लिमिटेड बिल्डर दवारा प्रस्तावित रिंग रोड प्रोजेक्ट के भूखंड पर बिल्डिंग बनाने की परमिशन दी गई लेकिन नए प्रस्तावित रोड की कुल लंबाई बढ़कर अब 170 किमी कर दी गई है।

 

राज्य सरकार (State government) ने इस प्रोजेक्ट के लिए करीब 26,000 करोड़ का प्रावधान किया है।  ऐसे में बिल्डर के भूखंड की कुछ बिल्डिंग इसमें बाधित हो रही है।  इस तरफ ध्यान खींचने वाली याचिका डेवलपर्स कंपनी ने हाईकोर्ट (High court) में की है।  मुख्य न्यायाधीश दीपांकर दत्ता (Dipankar Dutta) और न्यायाधीश गिरीश कुलकर्णी (Girish Kulkarni) की खंडपीठ के समक्ष इस पर आज सुनवाई हुई।

 

एमआरडीसी (MRDC) के सीईओ ने पिछले वर्ष नवंबर में राज्य के नगर विकास विभाग (urban development department) को बताया था कि एमआईडीसी ने इससे पहले बिल्डिंग प्लान मंजूर किया है।  ऐसे में राज्य सरकार दवारा प्रस्तावित रिंग रोड और उसकी चौड़ाई 45 से 60 मीटर तक कम करने का दावा याचिकाकर्ता की तरफ से वकील विराग तुलजापुरकर ने की।  बिज़नेस के पर्पस से जगह बेचने की वजह से अब रियल इस्टेट रेग्युलेटरी अथॉरिटी (Real Estate Regulatory Authority) (रेरा ) की कार्रवाई का खतरा याचिकाकर्ता कंपनी को है।

 

सरकारी वकील मनीष पाबले (Public Prosecutor Manish Pable) ने कहा कि पुणे में ट्रैफिक (Pune Traffic) की दृष्टि से यह प्रोजेक्ट महत्वपूर्ण है।  लेकिन आज की स्थिति में यह प्रोजेक्ट व्यावहारिक है क्या ? इसका खर्च कितना है ? इस पर तक़रीबन कितना समय लग सकता है?

जमीन अधिग्रहण की अवधि क्या है ? जैसे सवाल खंडपीठ ने खड़े किये है।  इस मामले में विस्तृत एफिडेविट पेश करने का निर्देश कोर्ट ने दिया है।  याचिका पर 23 अगस्त को अगली सुनवाई होगी।

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