महापौर पद पर संतोष लोंढे की दावेदारी ने बढ़ाई सत्तादल का सिरदर्द

महापौर पद पर संतोष लोंढे की दावेदारी ने बढ़ाई सत्तादल का सिरदर्द

पिंपरी। पुणे समाचार ऑनलाइन
महापौर बदलाव की बयार तेज होने के बीच वरिष्ठ नगरसेवक संतोष लोंढे की दावेदारी ने पिंपरी चिंचवड़ मनपा के सत्तादल भाजपा का सिरदर्द बढ़ा दिया है। लोंढे लगातार तीसरी बार नगरसेवक चुने गए हैं (दो टर्म खुद और पिछली एक टर्म में पत्नी)। सत्ता परिवर्तन के बाद पहले महापौर चुनाव के दौरान भी उन्होंने अपनी वरिष्ठता के आधार पर दावेदारी की थी। इतना ही नहीं मौका न मिलने पर उन्होंने इस्तीफे की पेशकश भी की थी।
सत्ता परिवर्तन के बाद ओबीसी प्रवर्ग के लिए आरक्षित महापौर सीट का ढाई साल का कार्यकाल दो हिस्सों में बांट कर दो नगरसेवको को मौका देना तय किया गया है। भाजपा के पहले महापौर के तौर पर चयनित नितिन कालजे का सवा साल का कार्यकाल खत्म होने जा रहा है। इसके चलते महापौर बदलाव की हवाएं तेज हो चली है। इस पद के लिए भाजपा के भोसरी विधानसभा क्षेत्र से विधायक रहे महेश लांडगे के गुट के राहुल जाधव प्रबल दावेदार हैं। उनके साथ ही शहराध्यक्ष व विधायक लक्ष्मण जगताप गुट के शत्रुघ्न काटे, शशिकांत कदम, पुराने निष्ठावान गुट के नामदेव ढाके, शीतल उर्फ विजय शिंदे आदि भी तीव्र इच्छुक हैं।
अगला महापौर विधायक लांडगे या विधायक जगताप या फिर पुराने निष्ठावान गुट का होगा? अभी इसके बारे में अलग अलग तर्क- वितर्क लड़ाए जा ही रहे हैं कि भोसरी विधानसभा क्षेत्र से विधायक लांडगे गुट के एक और नगरसेवक संतोष लोंढे ने इस पद के लिए अपनी दावेदारी पेश कर दी है। आज एक संवाददाता सम्मेलन में उन्होंने इसकी आधिकारिक घोषणा भी की। वे खुद दूसरी बार नगरसेवक चुने गए हैं, पिछली टर्म में उनकी पत्नी नगरसेविका थी। 15 सालों में उन्हें एक भी महत्वपूर्ण पद नहीं मिला। महापौर पद के पिछले चुनाव में भी उन्होंने वरिष्ठता और ‘ओरिजनल’ ओबीसी के आधार पर दावेदारी पेश की थी। तब मौका न मिलने से नाराज होकर उन्होंने इस्तीफे की पेशकश भी की थी।
तब तो उन्हें जैसे- तैसे मना लिया गया, मगर अब पुनः उनकी दावेदारी से सत्तादल खासकर विधायक लांडगे का सिरदर्द बढ़ गया है। क्योंकि राहुल जाधव औऱ संतोष लोंढे दोनों ही उनके करीबी औऱ समर्थक हैं। अब इनमें से किसी एक को मौका देकर दूसरे की नाराजगी दूर करने की नौबत उनपर आती है या फिर भोसरी की बजाय महापौर पद चिंचवड़ या पिंपरी विधानसभा क्षेत्र में चला जाता है? यह देखना दिलचस्प होगा। बहरहाल महापौर चुनाव के बाद इस पद से मौका चुकनेवालों की नाराजगी दूर करने के लिए मौजूदा उपमहापौर और सभागृह नेता की बलि दी जा सकती है, क्योंकि आगामी चुनावों की पृष्ठभूमि पर पार्टी के असंतुष्टों की नाराजगी पार्टी और नेताओं के लिए नुकसानदेह साबित हो सकता है।