एसबीआई ने सुझाया तेल के दाम कम करने का फॉर्मूला, क्या अमल होगा?  

नई दिल्ली: पेट्रोल-डीजल की कीमतों में लगी आज में झुलस रही जनता को राहत देने के लिए भारतीय स्टेट बैंक (एसबीआई) ने एक फॉर्मूला सुझाया है। अब देखने वाली बात यह होगी कि क्या राजनीतिक दल इस अमल करने की इच्छा शक्ति दिखाते हैं? यदि इस फॉर्मूले को अपनाया जाता है तो पेट्रोल की कीमतों में 6 रुपए तक की गिरावट आ सकती है। वहीं, डीजल भी 4 रुपए तक सस्ता हो सकता है। बैंक की रिसर्च फर्म ने अपनी रिपोर्ट में पेट्रोल-डीजल की कीमतों को कम करने और आम जनता को राहत देने के लिए नया प्राइसिंग मकैनिज्म पर विचार करने का सुझाव दिया है।

क्या है फॉर्मूला
रिपोर्ट में कहा है कि अगर राज्य सरकारें पेट्रोल के बेस प्राइस पर वैट लगाए तो कीमतें लगभग 5 रुपए 75 पैसे तक कम हो सकती हैं। इसी तरह डीजल 3 रुपए 75 तक सस्ता हो सकता है। रिपोर्ट इस बात का भी जिक्र है कि पेट्रोल-डीजल की कीमतों पर वैट लगाने से इसके दाम काफी बढ़ जाते हैं। जबकि उसमें केंद्र का टैक्स भी शामिल होता है। बैंक का कहना है कि बेस प्राइस पर वैट लगाने से केंद्र के टैक्स पर वैट नहीं लगेगा, इससे कीमतें अपने आप कम हो जाएंगी। एसबीआई ने इस बात पर भी सवाल उठाया है कि राज्य टैक्स पर टैक्स क्यों लगा रहे हैं?

राज्‍यों के राजस्‍व पर असर
मौजूदा समय में राज्य पेट्रोल-डीजल की उस कीमत पर वैट लगाते हैं जिसमें केंद्र का टैक्स शामिल होता है, इस वजह से उपभोक्ता तक पहुँचते-पहुँचते तेल काफी महंगा हो जाता है। एसबीआई के प्रस्ताव पर अमल होने की सम्भावना इसलिए हम है कि इससे राज्य सरकारों की कमाई में कमी आएगी, और यह वो चाहेंगी नहीं। बैंक ने रिपोर्ट में इस बात का जिक्र भी किया है। उसने कहा है कि अगर बेस प्राइस पर वैट लगाया जाएगा तो राज्यों को राजस्व में नुकसान उठाना पड़ेगा। हालांकि, यह लंबी अवधि के लिए नहीं होगा, लेकिन, राज्यों को करीब 34627 करोड़ रुपए का नुकसान होगा।

केंद्र भी भर रहा तिजोरी
राज्य सरकारों के साथ-साथ मोदी सरकार भी तेल के दामों में लगी आग से अपनी झोली भर रही है।
मौजूदा वक्त में पेट्रोल पर 19.18 रुपए प्रति लीटर और डीजल पर 15.33 रुपए प्रति लीटर एक्साइज ड्यूटी लगती है। यदि सरकार चाहे तो इसे कम करने जनता को राहत दे सकती है, लेकिन वह खुद अपनी कमाई कम करना नहीं चाहती, इसलिए राज्य पहल करते हुए रिपोर्ट पर अमल करेंगे इसकी सम्भावना बेहद कम है।