बूंद-बूंद को तरस रहे शिमलावासियों की गुहार; कुछ दिन यहाँ न आएं

शिमला: बूंद-बूंद को तरस रहे शिमलावासियों ने पर्यटकों से फ़िलहाल शिमला न आने की अपील की है। लोगों का कहना है कि उन्हें अपनी ज़रूरत का पानी ही नहीं मिल रहा है, ऐसे में सैलानियों के आने से दिक्कतें और बढ़ जाएंगी। सोशल मीडिया पर कई लोगों ने इस बारे में लिखा है। भैरव दत्त (78) ने लिखा कि सरकार को इस मामले में एडवाइजरी जारी करके पर्यटकों को फिलहाल शिमला न आने को कहना चाहिए।  शिमला में जल संकट इस कदर गहरा गया है कि  स्थानीय लोगों को उनकी जरूरत का पानी ही नहीं मिल रहा है। पीने के पानी के लिए भी उन्हें कड़ी मशक्कत करनी पड़ रही है।
शिमला शहर को 25,000 हजार लोगों के हिसाब से बसाया गया था। शिमला नगर निगम की मानें तो शहर की आबादी अब 2 लाख के आसपास पहुंच गई है। इससे अलावा गर्मियों में यहां आने वाले पर्यटकों की संख्या एक लाख के पार हो जाती है। पर्यटकों की संख्या बढ़ने पर यहां 45 मिलियन लीटर्स डे पानी की मांग प्रतिदिन और बढ़ जाती है।

गुस्से में लोग
बीते दिनों लोगों ने रैलियां निकालकर, सड़कें जाम करके विरोध प्रदर्शन किया था। उधर कांग्रेस ने भी पानी की समस्या को लेकर सरकार पर निशाना साधा है। दावा किया जाता है कि गिरी इलाके में पानी की स्कीम की क्षमता 20 मिलियन लीटर प्रति दिन है, जबकि यह वास्तव में केवल 9.75 मिलियन लीटर पानी प्रतिदिन मुहैया कराता है। उधर, गुम्मा वॉटर स्कीम के तहत जहां 21 मिलियन लीटर पानी प्रतिदिन आना चाहिए, वहीं यह केवल 10.60 मिलियन लीटर पानी देता है।

अंग्रेजों के ज़माने की प्रणाली
शिमला की जल आपूर्ति प्रणाली 1875 में बनाई गई थी, जब इसकी आबादी 20,000 थी। आबादी जहां तेजी से बढ़ी है, पानी के लिए कोई प्रबंध नहीं किया गया। हालांकि लंबे समय से रुकी एक योजना आखिरकार शुरू होने जा रही है, जिसके तहत सतलज नदी से पानी मिलेगा,  लेकिन इसमें कुछ और साल लगेंगे, माना जा रहा है कि 2023 तक ही यह समस्या हल हो पाएगी। शिमला के पूर्व डेप्युटी मेयर टिकेंदर पनवार का कहना है कि छोटे-चोटे कदमों से कुछ नहीं होगा। साल भर के पानी का इंतजाम करने वाले तरीके निकालने होंगे। उन्होंने जलवायु परिवर्तन के कारण हो रहे नुकसान पर भी चिंता व्यक्त की। उन्होंने कहा कि कम बर्फ और ज्यादा बारिश की वजह से पानी रुक नहीं पाता।

टैंकर से पानी सप्लाई पर रोक
हाल ही में यहाँ मुख्यमंत्री और राज्यपाल को छोड़ तमाम वीवीआईपी और वीआईपी को टैंकर से पानी सप्लाई पर रोक लग गई है। इसके साथ ही अनाडेल में गोल्फ कोर्स में घास की सिंचाई के लिए इस्तेमाल होने वाला पानी शहर में बांटा जाएगा। हालात सामान्य होने तक निर्माण संबंधी काम काम बंद कर दिए गए हैं। इसी तरह कार वॉशिंग सेंटर पर भी रोक लगा दी गई है। इतिहास में पहली बार शिमला इस तरह के जल संकट का सामना कर रहा है। दूसरी ओर हिमाचल प्रदेश हाईकोर्ट ने मौजूदा हालातों पर राज्य सरकार को सेना से संपर्क करने को भी कहा है। हाईकोर्ट नगर निगम से रोजाना आधार पर बूंद-बूंद का हिसाब भी लेगा।