सिंहगड इंस्टिट्यूट के कर्मचारियों ने राज्यपाल से मांगी इच्छामृत्यु

पुणे। 

पिछले 18 महीनों से तनख्वाह नहीं मिलने पर सिंहगड इंस्टिट्यूट के कर्मचारियों ने राज्यपाल सी. विद्यासागर राव से इच्छामृत्यु की मांग की है। इंस्टिट्यूट के कर्मचारियों ने राज्यपाल को लिखे पत्र में कहा कि अदालत के आदेश के बावजूद संस्थान ने उन्हें अभी तक भुगतान नहीं किया है।

वरिष्ठ अधिकारी को लिखे अपने पत्र में कर्मचारियों ने दावा किया कि सैलरी नहीं मिलने के कारण वो गहरे मानसिक पीड़ा से गुजर रहे हैं और अब उनके पास आत्महत्या करने के सिवाय दूसरा कोई विकल्प नहीं बचा है।

सिंहगड संस्थानों के साथ महीनों तक लंबी कानूनी लड़ाई लड़ने के बाद इस साल मार्च में अदालत ने इन कर्मचारियों के हक़ में फैसला सुनाया था। अदालत ने संस्थान को कर्मचारियों की तनख्वाह का तुरंत भुगतान करने का आदेश दिया था। साथ ही फैसले में यह भी कहा गया कि संस्थान इन कर्मचारियों पर हड़ताल के लिए कोई करवाई नहीं करेगा।लेकिन अदालत के आदेश के बावजूद राज्य सरकार द्वारा वित्त पोषित सिंहगड संस्थान ने अभी तक किसी का वेतन भुगतान नहीं किया है।

सिंहगड कॉलेज ऑफ इंजीनियरिंग (एससीओई) के सहायक प्रोफेसर अनिकेत पाटिल जिन पर काफी लोन है कहते हैं, “मेरी पत्नी गर्भवती है और जब उसे मेरी सबसे ज्यादा जरूरत है तो मैं उसकी मदद नहीं कर पा रहा हूं। मेरी पत्नी भी कमाती हैं लेकिन उनका वेतन पर्याप्त नहीं है। मैंने बैंक से ऋण लिया है, अपने म्यूचुअल फंड को बंद कर दिया है क्योंकि मैं अपने क्रेडिट कार्ड की सीमा तक पहुंच गया हूं और होम लोन भी चुका रहा हूं। ऐसे में मेरी मानसिक स्थिति ठीक नहीं है।”

होम लोन भी नहीं दे पा रहे

एक और कर्मचारी वामन पटोले ने कहा, मैं पिछले आठ महीनों से अपने होम लोन ईएमआई का भुगतान नहीं कर पा रहा हूं। बैंक ने मुझे चेतावनी भी दी कि इसके कारण मेरे फ्लैट की ऑनलाइन नीलामी की जा सकती है। मैं इस नौकरी को भी नहीं छोड़ पा रहा क्योंकि ऐसा करने से मैं अपनी 18 महीने से लंबित वेतन पूरी तरह से खो दूंगा। दूसरी तरफ मेरे लिए घर चलाना भी असंभव हो गया है। ” पटोले के मुताबिक उनके लिए वाहन में ईंधन भरने जैसी साधारण चीजें भी पहाड़ जैसी हो गई हैं।

बच्चों की स्कूल फीस भी नहीं चुका पा रहे
इसी तरह एक और सदस्य श्रीनिवास तारते ने बताया कि, “मेरे दोनों बच्चे नांदेड शहर में पवार पब्लिक स्कूल में पढ़ते हैं, और अकादमिक वर्ष शुरू होने पर मुझे मार्च में उनकी फीस चुकानी होती है। यह जून है, और मैं अभी भी उनकी फीस नहीं चुका पाया हूं।
अदालत के आदेश के बाद मार्च में विभिन्न संकायों ने अपनी हड़ताल वापस ले ली थी। उसके बाद संस्थान में पढ़ाने वाले टीचर्स ने ओवरटाइम करके पाठ्यक्रम को पूरा कराया है, जो उनके विरोध के दौरान रोक दिया गया था।

कर्मचारियों को निकाला जा रहा

पटोले ने कहा, “हमने अपने कामकाजी घंटों से ज्यादा काम किया है और सेमेस्टर पूरा किया है। फिर भी, कोई वेतन नहीं आया है। अब, अगले शैक्षणिक वर्ष में, संस्थान कर्मचारियों को निकाल रहा है और कई लोगों को परेशान करने के लिए मनमाने ढंग से उनके लोनावाला परिसर में स्थानांतरित कर रहा है, वह भी भुगतान के बिना। ”

महिला कर्मियों को किया जा रहा परेशान

जानकारी के अनुसार कर्मचारियों ने यह भी कहा कि ज्यादातर महिला कर्मचारियों को छोटी सूचना पर लोनावाला में स्थानांतरित किया जा रहा है। एक गर्भवती महिला ने कहा, “हमें अचानक एक स्थानांतरण पत्र सौंप दिया गया और शुक्रवार से लोनावाला परिसर में रिपोर्ट करने के लिए कहा गया।
हांलाकि इस पर संस्थान के प्रवक्ता ने अभी तक कोई टिप्पणी नहीं की है।