नई दिल्ली: समाचार ऑनलाइन- विपक्ष के विरोध के बावजूद केंद्र की भाजपा सरकार आज लोकसभा में नागरिकता संशोधन बिल पेश करने में सफल रही. गृह मंत्री अमित शाह द्वारा बिल पेश किया गया था, जिसके पक्ष में पक्ष में 293 और विरोध में 82 वोट पड़े. सोमवार को सदन में कुल मतदान 375 हुआ था. कड़े विरोध के चलते बिल को पेश करने के लिए मतदान करवाया गया, जिसमें भाजपा को विजय हासिल हुई. हालाँकि बिल को पास कराना भाजपा के लिए कठिन भी नहीं था, क्योंकि केंद्र में भाजपा सरकार ही पॉवर में है. लेकिन अब देखने वाली बात यह होगी कि राज्यसभा में बिल का क्या भविष्य तय होता है.
हालाँकि देशभर से भी कई आवाजें बिल के विरोध में भी उठ रही हैं. इस बिल को मुस्लिम विरोधी बताया जा रहा है. इस पर अमित शाह ने कारण बताते हुए स्पष्ट किया है कि इस बिल में मुस्लिम समुदाय के शरणार्थियों को भारत की नागरिकता देने से को अलग रखा गया है.
…तो इसलिए नहीं किया मुसलमानों को बिल में शामिल!
अमित शाह ने मुसलमानों को इस बिल में न शामिल करने का कारण बताते हुए कहा कि, पड़ोसी देशों में मुसलमानों के खिलाफ धार्मिक प्रताड़ना नहीं होती है. इसलिए इस बिल का फायदा उन्हें नहीं मिलेगा. अगर पता चला कि उनके साथ भी ऐसा अन्याय होता है, तो उन्हें भी इस बिल का फायदा देने पर विचार किया जाएगा.
शाह ने कहा- संविधान के खिलाफ नहीं
वहीं देशभर और विपक्ष की ओर से आवाजें उठ रही है कि यह बिल संविधान के खिलाफ है, इसका जवाब देते हुए गृह मंत्री अमित शाह ने कहा कि यह बिल न तो संविधान के खिलाफ नहीं है और नाहीं अल्पसंख्यकों के. अमित शाह ने कहा कि यह बिल .001% भी अल्पसंख्यकों के विरोध में नहीं है. उल्टा उन्होंने कांग्रेस को आड़े हाथों लेते हुए कहा कि, वह कांग्रेस ही है, जिसके कारण आज यह यह बिल लाना पड़ रहा है. क्योंकि धर्म के आधार पर कांग्रेस ने देश का विभाजन किया है. अगर कांग्रेस ऐसा नहीं ऐसा नहीं करती, तो इस बिल की आवश्यकता नहीं पड़ती.
शिवसेना का मिला साथ, तो कांग्रेस, टीएमसी ने किया विरोध
दिलचस्प बात यह रही है कि NDA से नाता तोड़ चुकी शिवसेना ने भी बिल के पक्ष में वोटिंग की है, क्योंकि शिवसेना हमेशा से घुसपैठियों को बाहर निकालने के पक्ष में रही है. वहीं कांग्रेस, टीएमसी AIMIM प्रमुख असदुद्दीन ओवैसी ने बिल के प्रति विरोध जताया है.
मोदी सरकार के इस बिल में क्या है…
नए बिल के अंतर्गत् अफगानिस्तान, पाकिस्तान, बांग्लादेश से भारत आकर रह रहे हिंदू, जैन, बौद्ध, ईसाई, सिख शरणार्थियों को नागरिकता मिलने में आसानी होगी. साथ ही अब भारत की नागरिकता पाने के लिए 11 साल नहीं बल्कि 6 साल तक देश में रहना अनिवार्य होगा. विपक्ष इस बिल को गैर संविधानिक बताने के साथ-साथ मुस्लिम विरोधी करार दिया है.
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