कुछ इस तरह रूठे पक्षियों को मना रहे हैं विश्वजीत

पुणे समाचार: गुणवंती परस्ते
विकास की अंधी दौड़ ने पुणे की हरियाली को काम हद तक कम कर दिया है। जिसके चलते  यहाँ आने वाले देशी-विदेशी पक्षियों की संख्या भी कम हो गई है। पेड़ कम होने से पक्षियों को अपना ठिकाना बनाने की जगह नहीं मिल पाती और इसलिए वह रूठकर कहीं और चले जाते हैं। लेकिन पुणे के कैम्प इलाके में रहने वाले विश्वजीत नाइक इस नकारात्मक बदलाव के खिलाफ लंबे समय से लड़ाई लड़ रहे हैं। वह आर्टिफिशल घोंसले तैयार करते हैं, ताकि पक्षियों को ठिकाने की तलाश में यहाँ-वहां न भटकना पड़े। विश्वजीत नाइक पर्यावरण प्रेमी के साथ साथ पक्षी विशेषज्ञ भी हैं। पुणे समाचार से खास बातचीत में उन्होंने बताया कि वे पिछले कई सालों से पक्षियों के लिए आर्टिफिशल घोंसले तैयार करने का काम कर रहे हैं। उन्होंने कहा, हमारे गार्डन में काफी पुराने और बड़े पेड़ हैं। मैंने घर की पुरानी वस्तुएं,प्लास्टिक और लकड़ी से पक्षियों के घोंसले बनाने का काम शुरू किया था। शुरूवात में पक्षी इन घरों में रहना पसंद नहीं करते थे, पर धीरे-धीरे उन्होंने यहाँ रहना सीख लिया है। मेरे गार्डन में विभिन्न प्रजातियों के पक्षियों का बसेरा है।

कर रहे जागरुक  
वो कहते हैं, पुणे में बहुत तेजी के साथ जंगल और पेड़ों की कटाई के चलते पक्षी प्रभावित हुए हैं। हमारी कोशिश है कि कृत्रिम घोंसलों की मदद से पुणे से दूर जा रहे पक्षियों को वापस लाया जा सके। इस मुहिम में परिवार का हर सदस्य मेरे साथ है। हम स्कूल-कॉलेजों से लेकर सोसाइटियों में जाकर लोगों को इस बारे में जागरूक करते हैं। हमें ख़ुशी है कि इस पहल को लोगों द्वारा काफी पसंद किया गया है।

गोवा में भी शुरुआत
विश्वजीत नाइक का कहना है कि पेड़ों की कमी के चलते अक्सर पक्षी घर की छत या खिड़कियों पर घोंसला बना लेते हैं जो सुरक्षित नहीं है। कई बार उनके अंड़े नीचे गिरकर टूट जाते हैं। हमारा द्वारा बनाये गए आर्टिफिशल घोंसले उनके लिए पूरी तरह सुरक्षित और आरामदेह हैं। हमने पुणे के साथ-साथ गोवा में भी इस प्रोजेक्ट पर काम किया है।