मानवजाति की रक्षा के लिए अध्यात्म आवश्यक

संत श्री ज्ञानेश्वर-तुकाराम स्मृति व्याख्यानमाला के उद्घाटन पर डॉ।विजय भटकर ने कहा
पुणे : समाचार ऑनलाइन – विज्ञान ने लंबी छलांग लगाई है। मनुष्य को उसने कई सुविधाएं दी हैं, लेकिन विज्ञान का निरंतर होता विकास कहीं विनाशकारी न साबित हो। मानव जाति की रक्षा के लिए इसे अध्यात्म के जरिए नियंत्रित करना जरुरी है।ये विचार कम्प्यूटर विशेषज्ञ एवं नालंदा विश्वविद्यालय के कुलपति पद्मभूषण डॉ. विजय भटकर ने व्यक्त किए।

विश्वशांति केन्द्र (आलंदी), माईर्स एमआईटी और संतश्री ज्ञानेश्वर-संतश्री तुकाराम महाराज स्मृति व्याख्यानमाला न्यास द्वारा संयुक्त रूप से यूनेस्को के तहत 24 से 30 नवम्बर के दौरान आयोजित 23वें संतश्री ज्ञानेश्वर तुकाराम स्मृति व्याख्यानमाला के उद्घाटन के मौके पर मुख्य अतिथि के रूप में बोल रहे थे।

इस दौरान एमआईटी वर्ल्ड पीस यूनिवर्सिटी के संस्थापक अध्यक्ष एवं यूनेस्को स्टडी के  प्रमुख प्रा।डॉ।विश्वनाथ कराड , वर्ल्ड हेल्थ ऑर्गेनाइजेशन के सलाहकार डॉ।चंद्रकांत पांडव, एमआईटी आर्ट, डिजाइन एंड  टेक्नॉलॉजी युनिवर्सिटी के कार्याध्यक्ष प्रा।डॉ।मंगेश कराड, माईर्स एमआईटी की कार्यकारी संचालिका डॉ।सुचित्रा कराड-नागरे, एमआईटी के डीन प्रा।शरदचंद्र दराडे-पाटिल, व्याख्यानमाला के समन्वयक डॉ।मिलिंद पांडे तथा एमआईटी के प्राचार्य डॉ।एल।के क्षीरसागर उपस्थित थे।उन्होंने कहा कि सारी दुनिया आज शांति की खोज में लगी है।भौतिक दुनिया में तेजी से उन्नति होने के बावजूद लोग सुखी नहीं है।यह आश्चर्यजनक बात है।अध्यात्म की राह पर चलने से ही सच्ची शांति और सुख मिलेगा।