महाराष्ट्र सरकार की मेगा भर्ती पर स्टे

मराठा आरक्षण के मुद्दे पर मुख्यमंत्री की बड़ी घोषणा

पुणे। पुणे समाचार ऑनलाइन

मराठा आरक्षण आंदोलन की आग में जहां पूरा महाराष्ट्र धधक रहा है, वहीं मुख्यमंत्री देवेंद्र फडणवीस ने रविवार की रात एक बड़ी घोषणा कर दी है। सरकारी मीडिया के जरिए मुख्यमंत्री ने महाराष्ट्र की जनता से संवाद साधते हुए मराठा आरक्षण के मुद्दे पर कहा कि, इसकी कानूनी प्रक्रिया नवंबर तक पूरी कर ली जायेगी, अगर तब तक यह प्रक्रिया पूरी नहीं होती है तो विधिमंडल का विशेष सत्र बुलाया जाएगा। तब राज्य सरकार की मेगा भर्ती पर रोक लगी रहेगी।

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मराठा आरक्षण के मसले पर राज्य सरकार द्वारा अब तक उठाये गए कदम की जानकारी देते हुए मुख्यमंत्री ने कहा कि, भाजपा की सत्ता आते ही मराठा आरक्षण का कानून पारित किया गया, मगर उसपर न्यायालय ने रोक लगा दी। जब तक पिछड़े वर्गीय आयोग मराठा समाज के पिछड़ेपन को लेकर साइंटिफिक रिपोर्ट नहीं दे देता तब तक कानून की कसौटी पर यह आरक्षण नहीं टिक पायेगा। आयोग के समक्ष विभिन्न सर्वेक्षण, 1 लाख 86 हजार आवेदन, ऐतिहासिक प्रमाण आदि पेश किए गए है। इसके आधार पर आयोग अपनी रिपोर्ट बनाएगा जो एक महत्वपूर्ण दस्तावेज साबित होगा। इसके बाद मराठा आरक्षण का फैसला निर्णायक चरण में पहुंचेगा।

राज्य पिछड़े वर्ग आयोग को उच्च न्यायालय ने 7 अगस्त तक अपनी भूमिका पेश करने का आदेश दिया है। इसके बाद आयोग के कामकाज का कालबद्ध  कार्यक्रम पेश हो सकेगा। उसकी रिपोर्ट मिलने के माहभर के भीतर विधिमंडल का विशेष सत्र बुलाने का फैसला किया गया है। यह आयोग स्वायत्त रहने से सरकार उसे निर्देश नहीं दे सकती, यह भी मुख्यमंत्री ने स्पष्ट किया। फिर भी मराठा समाज को आरक्षण देने की पूरी वैधानिक कार्यवाही नवंबर तक की जाएगी। मेगा भर्ती के फैसले से मराठा समाज को लगता है कि उनके साथ अन्याय हुआ है, तो मैं पुनः स्पष्ट करता हूं कि कानूनी तौर पर एससी, एसटी, ओबीसी, मराठा सभी समुदायों के हित का जतन किये बिना यह मेगा भर्ती शुरू ही नहीं की जाएगी।

धनगर समाज को आरक्षण देने के लिए राज्य सरकार ने टाटा इन्स्टिट्युट ऑफ सोशल सायन्स से रिपोर्ट

मांगी गई है। अगस्त अंत तक उसकी भी रिपोर्ट मिलने की उम्मीद है। प्रजातंत्र ने आंदोलन के लिए कई मार्ग उपलब्ध कराए हैं, उसमें हिंसा को कहीं भी शामिल नहीं किया गया है। हिंसा से आंदोलन, विचार और संघर्ष बदनाम होता है। आज नौजवान आत्महत्या कर रहे हैं, इससे काफी वेदना हो रही है। ईपीएफओ के आंकड़े बताते हैं कि केवल संगठित क्षेत्र में महाराष्ट्र में आठ साल रोजगार की निर्मिति हुई है। देश में सबसे ज्यादा 42 से 47 फीसदी विदेशी निवेश राज्य में हुआ है। निवेश और रोजगार सृजन के लिए शांति प्रस्थापित रहना जरूरी है। ऐसे में चाकण और औरंगाबाद की घटनाएं दुर्भाग्यपूर्ण है, इसका गंभीरता से विचार करने की जरूरत है। यह बताकर मुख्यमंत्री ने समाज से संवाद की प्रक्रिया को आगे बढाने की अपील की।