अफवाहों को रोकने की जद्दोजहद में जुटा व्हाट्सएप; नया फीचर शीघ्र ही

समाचार ऑनलाइन

सोशल मीडिया पर फैलती अफवाहों के कारण बढ़ रही भीड़ हिंसा की घटनाओं के बीच सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म व्हाट्सएप अफवाहों को रोकने की जद्दोजहद में जुट गया है। कंपनी ने भीड़ द्वारा पीटकर हत्या करने को भयावह हिंसा और जघन्य घटनाएं बताकर सरकार को भरोसा दिलाया है कि वह अफवाहों पर रोक लगाने के लिए कदम उठा रहा है। इसके लिए एक फीचर लाया जा रहा है, जिसका परीक्षण युद्धस्तर पर जारी है।

मीडिया रिपोर्ट्स के अनुसार अफवाहों पर लगाम लगाने के लिए व्हाट्सएप एक नया परीक्षण कर रहा है। इससे उपयोगकर्ताओं को पता चलेगा कि सामने वाले ने कब मेसेज को लिखा और कब उसे भेजा। इसका फायदा यह होगा कि उपयोगकर्ता को पता चल जाएगा कि जो मेसेज वह पढ़ रहा है सामने वाले ने खुद लिखा है या अफवाह फैलाने के लिए भेजा गया है। इस फीचर को जल्द लांच करने के साथ व्हाट्सएप लोगों की सुरक्षा को लेकर लंबे समय के लिए एक अभियान भी चलाने पर विचार कर रहा है। इसके साथ ही उसने फैक्ट चेकिंग संगठन के साथ काम करना शुरू कर दिया है ताकि अफवाहों और फेक न्यूज को फैलने से रोका जा सके।

ज्ञात रहे कि व्हाट्सएप पर फैलती अफवाहों के चलते महाराष्ट्र समेत देश के कई हिस्सों में मॉब लीचिंग के मामले सामने आए हैं। धुले की घटना ने सभी को झकझोर कर रख दिया। इस पर सरकार ने व्हाट्सएप को सख्त चेतावनी जारी करते हुए कहा था कि वह अमर्यादित और नफरत फैलाने वाले मेसेजों को फैलने से रोकने के लिए तत्काल कदम उठाए। व्हाट्सएप अपनी जिम्मेदारियों से नहीं बच सकता है। आईटी मंत्रालय को दिए अपने जवाब में व्हाट्सएप ने कहा कि फर्जी खबरें, झूठी सूचनाएं और अफवाहों को फैलने से रोकने के लिए सामूहिक प्रयास की जरूरत है। इसके लिए सरकार, नागरिक समूहों और प्रौद्योगिकी कंपनियों को एक साथ काम करना पड़ेगा। लोगों की सुरक्षा को लेकर व्हाट्सएप बेहद गंभीर है।

दो हफ्तों में गई 20 की जान

व्हाट्सएप और फेसबुक पर तेजी से वायरल हो रहे फर्जी मेसेज के कारण पिछले दो हफ्तों में 20 से ज्यादा लोगों की जान गई है। ये हत्याएं अलग-अलग राज्यों में हुई हैं। महाराष्ट्र के धुले जिले के ग्रामीण बच्चे को चुराने के शक में पांच लोगों को मौत के घाट उतार दिया गया तो वहीं झारखंड में भी बच्चा चोरी के शक में 7 लोगों की पीट-पीटकर हत्या कर दी गई। तमिलनाडु, तेलंगाना, कर्नाटक, असम समेत कई राज्यों में फर्जी खबरों का असर देखने को मिला है।