मोबाइल टावर से 47 बैटरियों की चोरी प्रतिस्पर्धा की जंग तो नहीं?

पुणे : समाचार ऑनलाइन

बात करते-करते यदि आपके मोबाइल का नेटवर्क चला जाए या फिर बीच में डिस्टर्बेंस आने लगे तो इसके लिए केवल टेलीकॉम कंपनी ही कुसूरवार नहीं है। बल्कि को चोर भी कुसूरवार हैं, जो मोबाइल के टावर में लगी बैटरी लेकर फरार हो जाते हैं। पुणे के साधुवासवानी रोड पर लगे टाटा डोकोमो कंपनी के टावर से चोर 47 बैटरी ले उड़े हैं। इस चोरी को कंपनियों के बीच ग्राहक बढ़ाने को लेकर चल रही प्रतिपर्धा के परिणाम के तौर पर भी देखा जा रहा है। पुलिस भी इससे इंकार नहीं कर रही है। उसका कहना है कि चोरी की बैटरी को या तो दूसरी कंपनियों को बेचा जा सकता है, या फिर चोर इसे राज्य के बाहर ठिकाने लगा सकते हैं।
पिछले कुछ वक़्त से टेलीकॉम कंपनियों में कस्टमर बढ़ाने को लेकर वॉर छिड़ी हुई है। इसी के मद्देनजर आकर्षक ऑफर पेश किये जा रहे हैं। ऐसे में यदि किसी कंपनी के टावर बार-बार ठप्प होते हैं तो मोबाइल उपभोक्ता दूसरी कंपनी का रुख कर सकते हैं। लिहाजा इस बात से इंकार नहीं किया जा सकता कि एक साथ 47 बैटरियों की चोरी इसी वॉर का हिस्सा हो।

सीसीटीवी में कैद चोर
टाटा डोकोमो कंपनी का टावर साधुवासवानी रोड स्थित रांका अपार्टमेंट सुखसागर की छत पर लगा हुआ था। इस मामले में सतीश सोन्याबापू नेहे (37) ने बंडगार्डन पुलिस स्टेशन में तीन अज्ञात चोरों के खिलाफ केस दर्ज किया है। 1 जुलाई देर रात की यह घटना सीसीटीवी में कैद हो गई है। पुलिस के अनुसार, सीसी टेलीकॉम टावर किराए पर देती है। उसने टाटा डेकोमो को उक्त टावर किराए पर दिया था, टावर में कुल 47 बैटरी थीं। बैटरी चुराते हुए तीन चोर सीसीटीवी में दिखाई दे रहे हैं। पुलिस ने बताया कि शातिर चोर इससे पहले भी कई सार्वजनिक स्थलों पर लगे सीसीटीवी कैमरे चुरा चुके हैं। मोबाइल टावर से बैटरी चुराने का मकसद या तो दूसरी कंपनी को बेचना हो सकता है या फिर चोर उन्हें किसी दूसरे राज्य में जाकर बेच सकते हैं।

ये वजह तो नहीं?
किसी मोबाइल कंपनी का नेटवर्क कितना बेहतर है, ये तय होता है उसके टावरों की संख्या और उसके सिग्नलों से। यही वजह है कि टेलीकॉम कंपनियां अपने टावर बढ़ाने के साथ-साथ सिग्नल मजबूत करने में लगी रहती हैं। ऐसे में यदि टावर ठप्प पड़ने का मतलब होगा, यूजर्स की परेशानी में इजाफा। यदि ऐसा बीच-बीच में होता रहता है तो उपभोक्ता परेशानी से तंग आकर दूसरी कंपनी का रुख कर सकता है।

कितनी महंगी होती है बैटरी?
आमतौर पर मोबाइल टावर में लगने वाली एक बैटरी की कीमत डेढ़ से दो लाख रुपए के बीच हो सकती है। पिछले साल जब नोएडा पुलिस ने मोबाइल टावर से बैटरी चुराने वालों को पकड़ा था तो ये बात सामने आई थी कि बैटरी की कीमत से दो लाख रुपए होती है। पुणे की घटना में चोरी गईं बैटरी काफी पुरानी थीं, इसलिए उनके बारे में स्पष्ट तौर पर कुछ कहना मुश्किल है। फिर भी पुलिस का अनुमान है कि उनकी कीमत डेढ़ लाख के पासपास होगी।

बैटरी चोरी से नुकसान?
मोबाइल के टावर में लगी बैटरी एक तरह से इन्वर्टर का काम करती हैं, ताकि सिग्नल बराबर मिलते रहें। बिजली जाने के बाद इन बैटरी से ही मोबाइल टावर में करंट की सप्लाई होती है। बैटरी नहीं होने से टावर में करंट नहीं जा पाता। ऐसे में मोबाइल उपभोक्ताओं को नेटवर्क नहीं मिलता।

 

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