सबरीमाला की भांति राम मंदिर मामले में सुप्रीम कोर्ट जल्द दे फैसला

दिल्ली। समाचार एजेंसी – बीते कई दिनों से राम मंदिर को लेकर बहस के बीच उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने शनिवार को दिल्ली में एक कार्यक्रम के दौरान मीडिया से बात करते हुए कहा कि सुप्रीम कोर्ट को सबरीमाला मंदिर की तरह ही राम मंदिर पर भी अपना फैसला देना चाहिए। उन्होंने यह भी कहा कि, राम मंदिर का विषय धार्मिक मामला है और इसे राजनीति से नहीं जोड़ना चाहिए।

मुख्यमंत्री योगी ने यह बयान उस वक्त दिया है, जब पिछले कई दिनों से यूपी की सियासत में राम मंदिर को लेकर बयानबाजी का दौर शुरू है। योगी ने कहा कि किसी के भी के साथ भेदभाव की स्थिति नहीं होनी चाहिए। अगर उच्चतम न्यायालय सबरीमाला मंदिर पर अपना फैसला सुना सकता है तो हमारी अपील है कि कोर्ट को राम मंदिर के मुद्दे पर भी फैसला देना चाहिए। इस मामले को राजनीति से नहीं जोड़ना चाहिए, क्योंकि यह करोड़ों लोगों की धार्मिक भावना का विषय है।

राम मंदिर का पूरा विवाद फिलहाल उच्चतम न्यायालय में लंबित है। सुप्रीम कोर्ट में इस मामले की सुनवाई अब 29 अक्टूबर से शुरू होने जा रही है। इस मामले में मुख्य पक्षकार राम लला विराजमान, निर्मोही अखाड़ा, सुन्नी सेंट्रल वक्फ बोर्ड और हिंदू महासभा हैं। इसके अलावा अन्य कई याचिका जैसे सुब्रमण्यन स्वामी आदि की अर्जी है जिन्होंने पूजा के अधिकार की मांग की हुई है लेकिन सबसे पहले चार मुख्य पक्षकारों की ओर से दलीलें पेश की जाएंगी।

क्या है अयोध्या विवाद

6 दिसंबर 1992 को अयोध्या में बाबरी मस्जिद को गिरा दिया गया था। इस मामले में आपराधिक केस के साथ-साथ दिवानी मुकदमा भी चला। टाइटल विवाद से संबंधित मामला सुप्रीम कोर्ट में पेंडिंग है। 30 सितंबर 2010 को इलाहाबाद हाई हाई कोर्ट ने दिए फैसले में कहा था कि तीन गुंबदों में बीच का हिस्सा हिंदुओं का होगा जहां फिलहाल रामलला की मूर्ति है। निर्मोही अखाड़ा को दूसरा हिस्सा दिया गया इसी में सीता रसोई और राम चबूतरा शामिल है। बाकी एक तिहाई हिस्सा सुन्नी सेंट्रल वक्फ बोर्ड को दिया गया। इस फैसले को तमाम पक्षकारों ने सुप्रीम कोर्ट में चुनौती दी। 9 मई 2011 को सुप्रीम कोर्ट ने इलाहाबाद हाई कोर्ट के फैसले पर रोक लगा यथास्थिति बहाल कर दी थी।