प्रशांत कनौजिया को तुरंत रिहा किया जाए : सुप्रीम कोर्ट

नई दिल्ली : समाचार ऑनलाईन – सुप्रीम कोर्ट ने प्रशांत कनौजिया को तत्काल ज़मानत पर रिहा करने के आदेश दे दिए हैं। जस्टिस इंदिरा बैनर्जी और अजय रस्तोगी की बैंच ने पुलिस से कहा कि प्रशांत के ट्वीट को सही नहीं कहा जा सकता, लेकिन इसके लिए उसे जेल में कैसे डाल सकते हैं। इससे यूपी पुलिस को झटका लगा है। कोर्ट ने कहा कि किसी नागरिक की आज़ादी के साथ समझौता नहीं हो सकता। ये उसे संविधान से मिली है और इसका उल्लंघन नहीं किया जा सकता। प्रशांत कनौजिया की पत्नी जगीशा अरोड़ा ने फैसले के बाद कहा, मुझे बहुत खुशी है और मुझे भारतीय संविधान में भरोसा है। मेरे पति ने कोई अपराध नहीं किया है। मैं प्रशांत से मिलना चाहती थी।

प्रशांत कनौजिया के वकील वरिष्ठ वकील नित्या रामाकृष्णन ने कहा कि, सुप्रीम कोर्ट ने प्रशांत को रिहा करने का आदेश देकर सही किया है। मैं उनके लिए खुश हूं। उत्तर प्रदेश के वकील ने इस मुद्दे पर ये कहते हुए कोई टिप्पणी नहीं की है कि मामला अभी विचाराधीन है।

ये मामला सुप्रीम कोर्ट के अवकाश बेंच के सामने आया था, लेकिन ऐसा नहीं लग रहा था कि ये वैकेशन बेंच की सुनवाई है क्योंकि वकीलों, पक्षकारों और पत्रकारों समेत कोर्ट रूम में 50 लोग मौजूद थे। ऐसे लोग भी वहां पहुंचे थे जिनका कोई इससे संबंध नहीं था, लेकिन मामले की संवेदनशीलता के चलते वो सुनवाई के दौरान मौजूद रहना चाहते थे।

पत्नी ने सुप्रीम कोर्ट का दरवाजा खटखटाया था
दरअसल, प्रशांत कनौजिया को उत्तर प्रदेश पुलिस ने शनिवार को उनके घर से गिरफ्तार किया था। उन्होंने उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ को लेकर एक ट्वीट के साथ वीडियो पोस्ट की थी जिसमें एक महिला आदित्यनाथ से अपने प्रेम प्रसंग को लेकर बात कर रही है।

एक पुलिसकर्मी ने ही लखनऊ के हज़रतगंज थाने में एफ़आईआर दर्ज करवाई थी और प्रशांत पर आईटी एक्ट की धारा 66 और मानहानि की धारा (आईपीसी 500) लगाई गई थी। बाद में धारा 505 को भी जोड़ दिया गया था।
इस मामले को लेकर प्रशांत कनौजिया की पत्नी जगीशा अरोड़ा ने सुप्रीम कोर्ट में गिरफ्तारी के ख़िलाफ़ हेबियस कोर्पस के तहत पीटिशन डाली थी। उत्तर प्रदेश पुलिस की ओर से मुकदमे की पैरवी कर रहे वकील ने दलील दी कि प्रशांत के ट्वीट भड़काऊ हैं। पहले के भी उनके ट्वीट ऐसे रहे हैं और इसलिए सेक्शन 505 को भी जोड़ा गया।

गिरफ़्तारी को स्वतंत्रता में दख़ल बताया 
जिस पर जस्टिस इंदिरा ने कहा कि हम मानते हैं कि ऐसे ट्वीट नहीं लिखे जाने चाहिए थे, लेकिन इसके लिए गिरफ़्तारी कैसे सही है? सुप्रीम कोर्ट के आदेश के तुरंत बाद प्रशांत कनौजिया का हैशटैग ट्विटर पर ट्रेंड करने लगा।
कई सारे ट्विटर यूज़र्स ने अदालत के फैसले का स्वागत किया है। वरिष्ठ पत्रकार बरखा दत्त ने लिखा है, सुप्रीम कोर्ट ने प्रशांत कनौजिया को ज़मानत पर रिहाई का आदेश देते हुए गिरफ़्तारी को स्वतंत्रता में दख़ल बताया है। वरिष्ठ पत्रकार एमके वेणु ने अदालत के फैसले का स्वागत करते हुए पुलिस की जवाबदेही तय किए जाने की बात कही है।
एक अन्य ट्विटर यूज़र संजुक्ता बसु ने लिखा है, प्रशांत कनौजिया की गिरफ़्तारी गैरक़ानूनी थी। असम में पूर्व सैन्य अधिकारी की गिरफ़्तारी गैरक़ानूनी थी। इस तरह के लाखों मामले हैं। अदालत से इन लोगों को राहत तो मिल जाती है लेकिन ये काफ़ी नहीं है। प्रशांत कनौजिया की गिरफ्तारी के बाद सोशल मीडिया और पत्रकारिता जगत में उनके लिए समर्थन जुटने लगा था। सोमवार को उनकी गिरफ़्तारी के विरोध में पत्रकारों ने प्रेस क्लब से लेकर संसद तक मार्च भी निकाला था। प्रशांत पूर्व में मद वायरफ वेबसाइट के लिए काम कर चुके हैं।