सुप्रीम कोर्ट की सख्त टिपण्णी, कहा- आरटीआई धमकाने और ब्लैकमेल करने का हथियार बना

नई दिल्ली, 17 दिसंबर – सोमवार को सुप्रीम कोर्ट ने ऐसी टिपण्णी कि जिस पर सोचने को सभी मजबूर हो गए. कोर्ट ने कहा कि सुचना के अधिकार कानून (आरटीआई )का उपयोग लोगों को धमकाने और ब्लैकमेल करने का हथियार बन गया हैं. कानून के डर के कारण  अधिकारी फैसले नहीं ले रहे है और विकास कार्य प्रभावित हो रहा है. लोगों ने कानून को पेशा बना रखा. चीफ जस्टिस एस.ए. बोबडे  की अध्यक्षता वाली पीठ ने यह सख्त टिप्पणी की. इस मौके पर कोर्ट ने तीन महीने में सुचना आयुक्तों की नियुक्ति करने का भी आदेश दिया। इससे पहले पिछले महीने ही सुप्रीम कोर्ट ने  चीफ जस्टिस कार्यालय को आरटीआई के दायरे में लाने का आदेश दिया था.

कोर्ट ने कहा कि आरटीआई का दुरूपयोग रोकने और इसके जरिये आपराधिक धमकी पर रोक लगाने के लिए सुचना का अधिकार कानून के दिशानिर्देश बनाने की जरुरत है.

  हम आरटीआई कानून के खिलाफ नहीं है  
चीफ जस्टिस एस.ए. बोबडे और जज बी आर गवई और जज सूर्यकांत की पीठ ने कहा, हम आरटीआई कानून के खिलाफ नहीं है लेकिन हमें लगता है कि इसके नियमन के लिए किसी प्रकार के दिशानिर्देश बनाना जरुरी है. कुछ लोग आरटीआई दाखिल करने के विषय से किसी  तरह  संबंधित नहीं होते है. यह कई बार आपराधिक धमकी की तरह होता है जिसे ब्लैकमेल भी कहा जा सकता है.

उन्होंने बंबई हाई कोर्ट के जज के रूप में अपना अनुभव बताया और कहा कि एक बार एक अधिकारी ने उन्हें बताया था कि आरटीआई के तहत सवालो की वजह से महाराष्ट्र में मंत्रालय में कामकाज ठप हो गया है.