स्वच्छ भारत स्पेशल स्टोरी

पुणे | समाचार ऑनलाइन 

असित मंडल 

पुणे में स्वच्छ भारत की अनोखी मिसाल

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी द्वारा स्वच्छ भारत अभियान के मिशन को जोरों शोरों से देश के हर एक कोने में पहुंचाया जा रहा है। आज इस मिशन में बहुत सारे लोग जुड़े है। सभी ने अपने-अपने स्तर पर काम करना शुरू किया है।  देश के हर एक गांव, शहर को स्वच्छ बनाने का सपना बापू ने देखा था। जिसके तरफ प्रधानमंत्री ने एक कदम आगे बढ़ा दिया है।  इस मिशन को सफल करने के लिए कई संस्था, स्कूल, कॉलेज, कार्यालय आदि आगे आये है।

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इस मिशन को आगे बढ़ाने के लिए पुणे शहर में दो परिवारों ने अनोखी मिसाल पेश की है। इन्होने अपने घर के किचन वेस्ट को बाहर रास्ते पर फेकने के बजाय  उसका घर में ही जैविक खाद बनाने के लिए उपयोग में लाया जाता है। जिसे जैविक खेती भी कहा जा सकता है।

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इस खेती में फल,फूल,सब्जी उगाये गए है। पुणे शहर में छोटे-बड़े लगभग पांच हज़ार जैविक खेती या बग़ीचे है। जहां लोग सूखे और गीले कचरे को कंपोज़ कर उसका खाद बनाकर अपने घर, घर के टेरेस में खेती या बग़ीचे उपयोग में लाते है।[amazon_link asins=’B07DB85QZ3,B07FH4PDHJ,B0756RCTK2′ template=’ProductCarousel’ store=’policenama100-21′ marketplace=’IN’ link_id=’f186a56f-c626-11e8-96fe-c1561483b593′]

पुणे के कात्रज इलाके में रहने वाली रुता भागवत ने ऐसे ही एक जैविक खेती बनायीं हुई है।  हालांकि इससे बनाने के लिए पुरे परिवार ने उनका साथ दिया है।  यह एक गार्डन खेती जैसा है। इस खेती में हर प्रकार के फल जैसे अनार, पेरू, अंजीर, स्ट्रॉबेरी आदि मौजूद है। इसके साथ-साथ फूलों की बात करे तो यहां गुलाब, चिनि गुलाब, जैस्मिन आदि ऐसे कई फूल और सब्जियां मौजूद है।

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आपको यह जानकर हैरानी होगी कि, सिर्फ 3 महीने में इन्होंने जमीन से 40 फिट ऊंचाई पर इस अनोखे खेती को बनाया है। इसके लिए इन्होने कोई भी फर्टिलाइजर का इस्तेमाल नहीं किया है। वह सिर्फ और सिर्फ किचन वेस्ट और सोसाइटी के पेड़ के पत्तों के सूखे कचरे का इस्तेमाल कर इस खेती को बनाया है।  इस हरियाली को देख कर आप यकीन नहीं करेंगे कि यह एक टेरेस है।  जहां पर खेती की जा रही है।

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समीर पवार ने पुणे समाचार के संवाददाता असित मंडल को जानकरी दी कि, वह यह खेती पिछले 14 साल से कर रहे है। जिसमे कही फल, फूल, सब्जिया आदि मौजूद है। इसकी शुरूवात उन्होंने 14 साल पहले फूल लगाकर किया था।  जो की बाद में यह बढ़कर फल के पेड़ और सब्जिया लगाकर आगे बढ़ाया।  उन्होंने आगे बताया कि, किचन वेस्ट का 30 प्रतिशत और पुरे सोसाइटी का सूखा कचरा 70 प्रतिशत मिलकर वह खाद बनता है।

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इसके लिए वह सोसाइटी में जाकर सूखा कचरा इक्क्ठा करते है और घर के गीले कचरे को मिलाकर एक ड्रम में डालते है।  जिसके बाद गोबर डालकर उसे ढक देते है। बता दें की ड्रम में छेद कर दिया जाता है जिससे एयर पास कर सके। ऐसा ढाई से तीन महीने तक रखा जाता है जिसके बाद वह खाद बनकर तैयार हो जाता है और बाद में उस खाद का इतेमाल कर फल, फूल, सब्जिया में भेंडी,ककड़ी,टमाटर आदि ऊगाते है।

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इसी तरह पुणे के बिबवेवाड़ी इलाके के लेक टाउन सोसायटी में अनिल जोड़गे ने 90 फिट ऊंचाई पर अपने घर के टेरेस पर किचन वेस्ट से गार्डन बनाया है।किचन से शुरू हुआ यह स्वच्छ भारत अभियान आसपास के इलाकों में रहने वाले परिवारों को बताते है और उनको इसकी जानकारी देते है।

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तकरीबन 1 हज़ार स्क्वेअर फिट टेरेस की जगह पर इन्होंने यह गार्डन बनाया है। यहां हर प्रकार की सब्जी,फलों में अंजीर, चीकू, लाल एप्पल और ग्रीन एप्पल और फूलों में गुलाब, चमेली, रातरानी आदि फूल यहां देखने को मिलेगा। वैसे अनिल जोड़गे एक निजी कंपनी में काम करते थे। वह पेशेवर किसान है।  उनको खेती में काफी दिलचस्पी है। एक प्राइवेट कंपनी से रिटायर होने के बाद इन्होंने अपनी पत्नी सीमा की मदद से टेरेस पर गार्डन बनाने का प्लान किया।

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स्वच्छ भारत मिशन को एक कदम आगे बढ़ाते हुए उन्होंने कचरे का सही इस्तेमाल करते हुए अपने टेरेस पर ही जैविक खेती बनाये है।  यहाँ आये दिन अक्सर डॉक्टर, आर्किटेक्टर आदि दौरा करते है और इस मोडल के बारे में उनसे पूछते है। अनिल जोड़गे ने डॉ. सुभाष पालेकर से यह सब कुछ सीखा है।  वह अपने टेरेस के साथ-साथ सोसाइटी में भी जैविक खेती करते है। जैविक खेती के दौरान वह बहुत जगह पहुंच रहे है पुणे में दो से तीन लेडिस ग्रुप को भी उन्होंने गाइड किया है कि, वह फल, सब्जियां खुद अपने घर में कैसे ऊगा सकती है।

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