.. जल्द कम होने वाली है आपके किचन से ‘मिठास’, प्याज-दाल के बाद अब चीनी होगी ‘महंगी’, जानें

नई दिल्ली : समाचार ऑनलाइन- महंगाई की मार झेल रही जनता के लिए बुरी खबर है. अब जल्द ही आपके किचन से मिठास कम होने वाली है. जी हां, देश के लगभग हर घर में इस्तेमाल होने वाली चीनी या शकर के दाम बढ़ने वाले है. अब दाल और प्याज के बढ़े भाव के बाद जनता को अब चीनी के बढ़े भाव का भी सामना करना पढ़ेगा.

हालाँकि इस बुरी खबर के बाद एक राहत भरी खबर यह है कि जल्द ही दाल और प्याज के दाम नीचे आ सकते हैं. क्योंकि हाल ही में उपभोक्ता मंत्रालय ने यह भरोसा जताया है कि, सरकार के पास दालों का पर्याप्त बफर स्टॉक है. इसलिए अब इस स्टॉक से लगभग 8.5 लाख मीट्रिक टन दालें खुले बाजार में बेचेंगे. फलस्वरूप बाजार में दलों की कीमत में गिरावट आएगी और जनता को यह कम दरों में उपलब्ध होगी.

वहीं सूत्रों ने जानकारी दी है कि, दूसरे देशों से आयात किए गए प्याज की पहली खेप मुंबई पोर्ट आ चुकी है. इसलिए जल्द ही दिल्ली के रिटेल मार्केट में आयातित प्याज उपलब्ध कराया जाएगा, जिससे प्याज की बढ़ी कीमतों से कुछ राहत मिलने की उम्मीद है.

क्यों चीनी होगी महंगी !

सरकारी सूत्रों के अनुसार इस बार चीनी का उत्पादन कम हुआ है, जिसकी मुख्य वजह महाराष्ट्र और कर्नाटक में हुई भारी बारिश है. इन दो राज्यों में सर्वाधिक गन्ने की खेती होती है, लेकिन बाढ़ के कारण इस बार इसकी फसल बेहद प्रभावित हुई है. इसलिए कम उत्पादन के कारण चीनी की दरें बढ़ना पक्का है.

सरकारी आंकड़ों के अनुसार देश में चीनी उत्पादन इस मार्केटिंग इयर में 15 दिसंबर तक 35 पर्सेंट गिरकर 45.8 लाख टन पर आ गया. चीनी का मार्केटिंग इयर अक्टूबर से सितंबर चलता है. पिछले मार्केटिंग इयर की इसी अवधि में चीनी उत्पादन 70.5 लाख टन था. प्राइवेट मिलों का प्रतिनिधित्व करने वाली इस्मा के अनुसार 15 दिसंबर 2019 तक 406 चीनी मिलों में गन्ने की पेराई हो रही थी. पिछले मार्केटिंग इयर में 15 दिसंबर तक 473 मिलें पेराई कर रही थीं.

इस्मा के मुताबिक इस बार चीनी मिलें ताजे गन्ने के साथ बाढ़ में खराब हुए गन्ने की भी पेराई करने को मजबूर है.  गुजरात में 1.52 लाख टन, बिहार में 1.35 लाख टन, पंजाब में 75 हजार टन, तमिलनाडु में 73 हजार टन, हरियाणा में 65 हजार टन, मध्य प्रदेश में 35 हजार टन और तेलंगाना और आंध्र प्रदेश में मिलाकर 30 हजार टन चीनी का प्रोडक्शन हुआ है. इस्मा का अंदाजा है कि 2019-20 मार्केटिंग वर्ष में कुल चीनी उत्पादन 21.5 पर्सेंट घटकर 2.6 करोड़ टन ही रह सकता है.