दागी नेताओं के चुनाव लड़ने पर रोक नहीं : सुप्रीम कोर्ट

नई दिल्ली | समाचार ऑनलाइन

दागी जनप्रतिनिधियों के मुद्दे पर सुप्रीम कोर्ट में आज फैसला आ गया है। दागियों के संबंध में सुप्रीम कोर्ट का कहना है कि, चुनाव लड़ने से पहले प्रत्येक उम्मीदवार को अपना आपराधिक रिकॉर्ड निर्वाचन आयोग को देना होगा। साथ ही सभी राजनीतिक दलों को ऐसे उम्मीदवारों की सूची और विस्तृत जानकारी अपने वेबसाइट पर प्रकाशित करना होगा। सीजेआई दीपक मिश्रा ने कहा कि भ्रष्टाचार, राष्ट्रीय आर्थिक आतंकवाद है। संसद को इस संबंध में कड़े कानून बनाना चाहिए |

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अदालत ने अपने फैसले में कहा कि, संसद को ये सुनिश्चित करने की जरूरत है कि अपराधी, राजनीति में न आ सकें। अगर किसी उम्मीदवार का पिछला रिकॉर्ड आपराधिक है तो अदालत रोक नहीं लगा सकती है। इस संबंध में संसद को आगे आना होगा। संसद में जनप्रतिनिधि आम जनता की आवाज उठाते हैं और अगर आपका जनप्रतिनिधि दागी हो या उसके खिलाफ संगीन मामले चल रहे हों तो क्या उसे कानून बनाने का अधिकार मिलना चाहिए।

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मुख्य न्यायाधीश दीपक मिश्रा की अध्यक्षता वाली पांच सदस्यीय संविधान पीठ इस मामले की सुनवाई के बाद अपने फैसले में कहा कि नागरिकों को अपने उम्मीदवारों की हर प्रकार की पृष्ठभूमि जानने का अधिकार है। पीठ में न्यायमूर्ति आर एफ नरीमन, न्यायमूर्ति ए एम खानविलकर, न्यायमूर्ति डी वाई चंद्रचूड़ और न्यायमूर्ति इंदु मल्होत्रा शामिल थे।

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याचिकाकर्ता का कहना है कि 2014 में संसद में 34 फीसद से ज्यादा ऐसे उम्मीदवार पहुंचे जिनके खिलाफ क्रिमिनल केस है। ऐसे में सवाल ये है कि जिन लोगों के खिलाफ मुकदमा दर्ज है क्या वो कानून बना सकते हैं। सुप्रीम कोर्ट के तीन जजों की बेंच ने 8 मार्च 2016 को यह केस संवैधानिक बेंच के हवाले किया था।

आपराधिक मामलों में मुकदमों का सामना कर रहे जनप्रतिनिधियों को आरोप तय होने के स्तर पर चुनाव लड़ने के अधिकार से प्रतिबंधित करना चाहिए या नहीं इस सवाल को लेकर दायर विभिन्न याचिकाओं पर सुनवाई करते हुए पीठ ने आज यह फैसला दिया। पीठ ने 28 अगस्त को इस मामले पर अपना फैसला सुरक्षित रख लिया था।