कर्नाटक में सत्ता का नाटक पूरे शबाब पर

बेंगलुरु

कर्नाटक में सरकार बनाने के लिए विधायकों की जोड़-तोड़ का खेल शुरू हो गया है। कांग्रेस और जेडीएस ने अपने विधायकों को भाजपा के पाले में जाने से रोकने के लिए उन्हें किसी गुप्त एवं सुरक्षित स्थान पर भेजने जा रही है। वहीं भाजपा का दावा है कि कांग्रेस- जेडीएस के कुछ विधायक उसके संपर्क में हैं। इस बीच खनन घोटाले के आरोपी रेड्डी बंधु भी एक्शन भी आ गए हैं। खबर है कि भाजपा हाईकमान ने उन्हें विपक्षी विधायकों को साधने का जिम्मा सौंपा है। यह भी बताया जा रहा है कि जेडीएस और कांग्रेस के कुछ विधायक जर्नादन रेड्डी व बी श्रीरामुलु के संपर्क में हैं। कांग्रेस- जेडीएस ने साफ कर दिया है कि अगर राज्यपाल ने उन्हें पहले सरकार गठन न्योता नहीं दिया, तो वे सुप्रीम कोर्ट में अपील करेंगे।

निर्दलीय विधायकों का समर्थन
गौरतलब है कि राज्य की 224 सदस्यीय विधानसभा में भाजपा 104 सीटों के साथ सबसे बड़ी पार्टी बन कर उभरी, हालांकि 78 सीटें जीतने वाली कांग्रेस ने सरकार गठन के लिए 38 सीटों वाली जेडीएस को समर्थन देने का फैसला कर लिया। कांग्रेस का कहना है कि उसे दो निर्दलीय विधायकों का भी समर्थन प्राप्त है और इस तरह उनके पास कुल 118 विधायकों का समर्थन प्राप्त है।

ये है कांग्रेस की परेशानी
कांग्रेस के लिए परेशानी वाली बात ये है कि उसके कुछ विधायक जेडीएस नेता कुमारस्वामी को मुख्यमंत्री के रूप में स्वीकार करने के लिए तैयार नहीं हैं और इस बात की पूरी सम्भावना है कि बागी विधायक भाजपा का दमन थाम लें। हालांकि कांग्रेस ने सभी विधायकों के एकजुट होने का दावा करते हुए कहा कि वे उन सभी को जल्द ही रिजॉर्ट भेज रहे हैं। इस बीच खबर है कि कांग्रेस अध्यक्ष राहुल गांधी ने पार्टी के वरिष्ठ नेता गुलाम नबी आजाद से बात की और उन्हें सरकार गठन पूरा जोर लगाने को कहा है।

पुराने संबंधों को अलग रखें राज्यपाल
कांग्रेस के वरिष्ठ नेता गुलाम नबी आजाद ने बुधवार को कहा कि सबसे बड़ी पार्टी के पास पर्याप्त संख्या नहीं है। भाजपा  के पास 104 विधायक हैं और कांग्रेस-जेडीएस के पास 117 हैं। गवर्नर उनका पक्ष नहीं ले सकते हैं। क्या ऐसा व्यक्ति, जो संविधान को बचाने के लिए है वह खुद उस पर चोट करेगा। गवर्नर को अपने सभी पुराने संबंधों को अलग रखना चाहिए, जो उनके भाजपा या संघ के साथ रहे हैं।