फॉर्म 22 सबमिट करने हेतु बढ़ेगी अवधि, पहले 25 अप्रैल अंतिम तिथि थी 

पुणे : समाचार ऑनलाईन – स्टार्टअप कंपनियों को फॉर्म 22 सबमिट करने के लिए और समय मिलेगा। पहले यह अवधि 25 अप्रैल थी। अब यह समयसीमा बदलने के संभावना है।इससे उन्हें राहत मिलेगी। केंद्र सरकार के मिनीस्ट्री ऑफ कार्पोरेट अफेयर्स ने स्टार्टअप कंपनियों को उनके रजिस्टर्ड ऑफिस की एक फोटो और ऑफिस के बाहर की एक फोटो आईएनसी फॉर्म 22 ए के साथ सबमिट करने की शर्त रखी थी। इस फोटो में कंपनी का नेमप्लेट, रजिस्टर्ड पता, ई-मेल और फोन नंबर भी दिखाई देना अत्यावश्यक हैं। रजिस्टर्ड कार्यालय के तहत फोटो में कम से कम कंपनी के एक डायरेक्टर की फोटो भी होनी जरूरी है, लेकिन जीस डायरेक्टर की फोटो संलग्न की है, उस डायरेक्टर का आईएनसी फॉर्म 22 ए पर हस्ताक्षर होना भी अनिवार्य हैं।

ऐसे कई नये नियम लागू किये गए हैं। फोटो के साथ यह फॉर्म सबमिट करने के लिए 25 अप्रैल अंतिम तिथि थी। इंडस्ट्री एसोसिएशन और स्टार्टअप कंपनियों ने ऊपर उल्लेखित नये नियम पर फिर से विचार करने का अनुरोध मिनिस्ट्री ऑफ कार्पोरेट अफेयर्स से किया था। क्योंकि अधिक तर स्टार्टअप के मालिक उनके घर से व्यवसाय करते हैं। कईयों के पास अपनी खुद की जगह भी नहीं है। कई कंपनियां इतनी छोटी जगह में चलती है कि उन्हें ऑफिस के बाहर बोर्ड लगाना भी संभव नहीं होता। इसलिए इस नये नियम के बारे में स्टार्टअप कंपनियों ने उनकी शिकायतें लोकल सर्कल संगठन में दर्ज की। इसकी जानकारी मिनीस्ट्री ऑफ कार्पोरेट अफेयर्स को दी गई है। यह जानकारी लोकल सर्कल के फाउंडर और चेयरमैन सचिन तपारिया ने दी है।

श्री तपारिया ने कहा कि देशभर की 30 हजार स्टार्टअप कंपनियां लोकल सर्कल की ऑनलाइन सदस्य है। लोकल सर्कल ने फॉर्म 22 सबमिट करने हेतु अवधि बढ़ाने का अनुरोध मिनीस्ट्री ऑफ कार्पोरेट अफेयर्स से किया है।
नये से आया हुआ आईएनसी 22-ए फॉर्म ई-फॉर्म के रूप में पहचाना जाता है। कंपनीज् (इनकार्पोरेशन) अमेंडमेंट रूल्स 2019 के अनुसार ई-फॉर्म एक्टिव (एक्टिव कंपनी टैगिंग आइडेंटीज एण्ड वेरिफिकेशन) तैयार किया गया है। 25 अप्रैल तक 22-ए फॉर्म सबमिट करने पर कोई भी शुल्क नहीं लगाए जायेगा। वही 25 अप्रैल के बाद फॉर्म सबमिट करने पर कंपनियों से 10 हजार रुपए का दंड वसूला जाएगा। फॉर्म सबमिट न करने वाली कंपनियों का अन्य कंपनियों में मर्जिंग भी नहीं होगा। साथ ही उनके कैपिटल स्ट्रक्चर में भी कोई भी बदलाव नहीं किया जा सकेगा। यह निर्देश भी मिनीस्ट्री ऑफ कार्पोरेट अफेयर्स ने दिए हैं।  इसबीच कार्पोरेट प्रोफेशनल के फाउंडर पवन विजय ने कहा, जब केंद्र सरकार ने शेल कंपनियों के नाम हटाए थे तब केंद्र सरकार की आलोचना हुई थी। इसलिए अब कंपनियों वाले ही आगे बढ़कर अपनी राय रखें, यह अपील हम कर रहे हैं।