स्वतंत्रता दिवस पर फांसी की सजा काट रहे कैदियों को मिली यह ‘आज़ादी’

पुणे | समाचार ऑनलाइन

महाराष्ट्र की जेलों में बंद फांसी की सजा काट रहे कैदी अपने परिवार से फ़ोन पर बात कर सकेंगे। स्वतंत्रता दिवस के मौके पर जेल प्रशासन ने कैदियों को यह तोहफा दिया है। दरअसल, तकरीबन दो साल पहले सरकार ने जेलों में बंद अन्य कैदियों को यह सुविधा उपलब्ध कराने का ऐलान किया था, लेकिन उसमें फांसी की सजा पाए कैदियों का जिक्र नहीं था, लेकिन देश की आज़ादी के 72वें जश्न पर अब कैपिटल पनिशमेंट वाले कैदियों को अपने प्रियजनों से फ़ोन पर बात करने की आज़ादी मिल गई है।

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राज्य की विभिन्न जेलों में मौत की सजा पाए 65 कैदी बंद हैं। हालांकि, सूत्रों के मुताबिक इसके लिए कैदियों को शुल्क का भुगतान करना होगा। गंभीर अपराधों में सजा काट रहे कैदियों को जेल से अपने परिवारों से संपर्क करने की सुविधा 2015 में उपलब्ध करायी गई थी। जेल में लगे काइन बॉक्स में एक रुपए का सिक्का डालकर कैदी अपने परिवार से संपर्क कर सकते हैं। लेकिन आतंकवाद विरोधी कार्रवाई, संगठित अपराधों में लिप्त और फांसी की सजा पाए कैदियों के लिए यह सुविधा नहीं थी।

राज्य कारागृह विभाग के प्रमुख अतिरिक्त पुलिस महासंचालक डॉ. भूषणकुमार उपाध्याय का  हाल ही में नागपुर पुलिस आयुक्त पद पर तबादला किया गया है। उपाध्याय ने बताया कि फांसी की सजा पाए कैदियों को भी यह सुविधा मुहैया कराने का फैसला लिया गया है,लेकिन देशद्रोह, आंतकवाद, नक्सलवादी घटनाओं में फांसी की सजा काट रहे कैदियों पर यह निर्णय लागू नहीं होगा। राज्यभर की विभिन्न जेलों में फांसी की सजा पाए 65 कैदी हैं, इनमें से 50 अब अपने परिवार से संपर्क कर सकेंगे। इसके लिए संबंधित जेल अधीक्षक की अनुमित अनिवार्य है।