बंदर नहीं थे हमारे पूर्वज; केंद्रीय मंत्री डॉ सत्यपाल सिंह का दावा

नई दिल्ली। समाचार एजेंसी

एक पुस्तक विमोचन समारोह में केंद्रीय मानव संसाधन विकास राज्यमंत्री सत्यपाल सिंह ने एक बार फिर दावा किया कि मानव के क्रमिक विकास का चार्ल्स डार्विन का सिद्धांत वैज्ञानिक रूप से गलत है। उन्होंने यह भी कहा कि विज्ञान के एक छात्र के तौर पर उनका मानना है कि उनके ‘पूर्वज बंदर नहीं थे। पशु-पक्षियों की आवाज सुनकर मनुष्य भाषा बोलना सीखा। वैज्ञानिकों के इस दावे को भी सिरे से नाकारते हुए उन्होंने कटाक्ष किया कि, उनके बच्चों को कुछ सालों के लिए जंगल में छोड़ दें देखते हैं वे पशु- पक्षियों की आवाज सुनकर कौन सी भाषा सीखते हैं।

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डॉ सिंह ने उनकी टिप्पणियों के लिए उन पर हमला करने वालों पर निशाना साधते हुए कहा, किसी अन्य व्यक्ति के नजरिये की निंदा करना वैज्ञानिक भावना नहीं है। मैं एक विज्ञान का छात्र हूं और मैंने रसायन-शास्त्र में पीएचडी की है। मेरे खिलाफ बोलने वाले लोग कौन थे? और कितने लोगों ने मेरा साथ दिया? हमें इस पर मंथन करना चाहिए। हम लोग प्रेस से डर जाते हैं मगर आज नहीं तो कल,  कल नहीं तो 10-20 साल में, लोग मेरी कही गई बातें स्वीकार करेंगे। कम से कम मेरा मानना है कि, मेरे पूर्वज कपि (बंदर) नहीं थे। किसी व्यक्ति के नजरिये की निंदा करना वैज्ञानिक भावना नहीं है। इस पर सोचा जाना चाहिए।

मुंबई के पुलिस आयुक्त रह चुके सिंह ने कुछ महीने पहले मानव के क्रमिक विकास के चार्ल्स डार्विन के सिद्धांत को गलत करार दिया था और कहा था कि स्कूलों एवं कॉलेजों के पाठ्यक्रम में यह बदलाव नजर आने चाहिए। इस पर विभिन्न वर्गों ने उनकी आलोचना की थी। इसके जवाब में उन्होंने कहा कि उन्हें शिक्षित राजनेता होने पर गर्व है और देश का सौभाग्य है कि राष्ट्रवादी मानसिकता की एक राष्ट्रवादी सरकार शासन में है। उन्होंने यह भी कहा कि विदेशों के 99 फीसदी विश्वविद्यालय हिंदू धर्म की ‘गलत व्याख्या करते हैं, गलत अनुवाद करते हैं। हमारे देश की सबसे बड़ी भूल यह थी कि उसने अंग्रेजों की शैक्षणिक प्रणाली और मानसिकता का पालन करना जारी रखा।