भारतीय अर्थव्यवस्था की स्थिति तीन टायर पंचर वाली कार के समान

पूर्व केंद्रीय वित्त मंत्री पी चिदंबरम की टिप्पणी

ठाणे। पुणे समाचार ऑनलाइन

महाराष्ट्र प्रदेश कांग्रेस द्वारा ठाणे के डॉ काशीनाथ घाणेकर नाट्यगृह में ‘फूट की सियासत और मंद अर्थव्यवस्था’ विषय पर आयोजित कार्यक्रम में देश के भूतपूर्व केंद्रीय वित्त मंत्री पी चिदंबरम ने मौजूदा भारतीय अर्थव्यवस्था की हालत ऐसी एक कार समान बताई, जिसके तीन टायर पंचर हैं। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की अगुआई वाली केंद्र सरकार पर ईंधन की कीमतों में वृद्धि और अन्य आर्थिक मुद्दों पर उन्होंने रविवार को कहा कि, भारतीय अर्थव्यवस्था एक कार की तरह बन गई है जिसके तीन टायर पेंचर हो गए हैं। कार के एक या दो पहिए पंचर होते हैं तो ये धीमी हो जाती है, लेकिन हमारे केस में तो तीनों पहिए पंचर हैं।

उन्होंने आगे कहा, ‘निजी निवेश, निजी खपत, निर्यात और सरकारी व्यय अर्थव्यवस्था के विकास के चार इंजन हैं। यह एक कार के चार टायर की तरह है। अगर एक या दो टायर पंचर हो जाते हैं, तो यह धीमा हो जाएगा लेकिन हमारे मामले में, तीन टायर पंचर हैं। स्वास्थ्य देखभाल और कुछ सुविधाओं के रूप में केवल सरकारी व्यय चल रहा है। इस व्यय को जारी रखने के लिए सरकार ने पेट्रोल, डीजल और यहां तक कि एलपीजी पर कर जारी रखा है। यह ऐसे करों में लोगों से पैसा निचोड़ रही है और सार्वजनिक सुविधाओं पर कुछ खर्च कर रही है।’

उन्होंने नाट्यगृह में उपस्थित समुदाय से सवाल पूछा कि क्या आपने हाल ही में बिजली क्षेत्र में कोई भी निवेश देखा? उदाहरण के लिए 10 प्रमुख कंपनियों दिवालियापन में चली गईं, जिसमें से पांच स्टील कंपनियां थीं। आप ऐसे क्षेत्रों में किसी भी निवेश की उम्मीद कैसे कर सकते हैं? जीएसटी में पांच स्लैब के लिए भी मोदी सरकार की आलोचना करते हुए उन्होंने कहा, ‘नोटबंदी के बाद इस सरकार ने जीएसटी को पांच टैक्स स्लैब के साथ पेश किया है, जिसमें सेस भी शामिल है। अन्य देशों में जीएसटी सिर्फ एक कर प्रणाली है लेकिन हमारे पास भारत में दो प्रकार के कराधान हो सकते हैं।

चिदंबरम ने यह भी कहा कि, यह सरकार आर्थिक संकट को दूर करने में अक्षम है। इसने भारतीय अर्थव्यवस्था की स्थिति को और खराब कर दिया है। उन्होंने सरकार की मुद्रा ऋण योजना का भी मज़ाक उड़ाया और कहा कि, ‘वितरित मुद्रा ऋण की औसत राशि प्रति व्यक्ति 43 हजार रुपये है। ऐसी कम राशि के साथ कोई बड़ा निवेश नहीं किया जा सकता है, सिवाए इसके कि कोई पकौड़ा स्टॉल चलाने की इच्छा रखता हो।’