वेबसाइट से हटा ली गई सरकार की फजीहत करानेवाली वह रिपोर्ट

 नई दिल्ली। समाचार एजेंसी
कांग्रेस के नेतृत्व वाली यूपीए सरकार में जीडीपी की औसत दर वर्तमान की एनडीए सरकार से ज्यादा बताने वाली रिपोर्ट को सरकार की फजीहत होने के बाद आखिरकार हटा लिया गया। देश के आर्थिक विकास से जुड़ी यह हालिया रिपोर्ट सरकार द्वारा समर्थित एक पैनल ने ही तैयार की है। इस रिपोर्ट के सामने आने के बाद मोदी सरकार निशाने पर आ गई है। वहीं सरकार ने फजीहत से बचने के लिए मिनिस्टरी ऑफ स्टेटिक्स एंड प्रोग्राम इम्पलीमेंटेशन की वेबसाइट से इस रिपोर्ट को हटा दिया है।
जीडीपी ग्रोथ रिपोर्ट बीती 25 जुलाई को मंत्रालय की वेबसाइट पर पब्लिश की गई थी। इसके कुछ ही समय बाद यह रिपोर्ट मीडिया में आ गई। विपक्षी पार्टी कांग्रेस ने इस रिपोर्ट के आधार पर केन्द्र की मोदी सरकार पर निशाना साधा, जिसके बाद केन्द्र सरकार और विपक्षी पार्टियों के बीच आरोप-प्रत्यारोप का दौर शुरु हो गया है। मामला बढ़ने पर सरकार ने रविवार को यह कहते हुए एक बयान जारी किया है कि यह रिपोर्ट आधिकारिक रिपोर्ट नहीं थी। जबकि यह रिपोर्ट सरकार द्वारा समर्थित पैनल और अर्थशास्त्री सुदीप्तो मंडल की अध्यक्षता में तैयार की गई है।
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इस रिपोर्ट के तहत साल 2010-11 में जब डॉ. मनमोहन सिंह की सरकार सत्ता में थी, तब देश की जीडीपी 10.8 प्रतिशत थी। वहीं मौजूदा सरकार में यह जीडीपी ताजा वित्तीय वर्ष में 6.7 आंकी गई है। रिपोर्ट के अनुसार, यूपीए के 10 सालों के शासन में भारत की जीडीपी औसतन 8 प्रतिशत के आसपास रही थी। सरकारी सूत्रों और स्वतंत्र अर्थशास्त्रियों की मानें तो आगामी लोकसभा चुनावों को देखते हुए यह रिपोर्ट केन्द्र की मोदी सरकार के लिए चिंता का विषय हो सकती है। कांग्रेस पार्टी भी इस रिपोर्ट को अपने पक्ष में भुनाने की पूरी कोशिश कर रही है।
पूर्व वित्त मंत्री और कांग्रेस के वरिष्ठ नेता पी. चिदंबरम ने ट्वीट कर कहा है कि जीडीपी की बैक सीरीज की गणना से यह बात साबित हो गई है कि यूपीए के 2004-2014 तक के शासनकाल में अर्थव्यवस्था के सबसे अच्छे साल रहे। वहीं स्टेट बैंक ऑफ इंडिया के इकॉनोमिक रिसर्च डिपार्टमेंट ने भी एक क्विक डाटा एनालिसिस रिपोर्ट जारी की है, जिसमें कहा गया है कि भारत की विकास दर सबसे ज्यादा 10.8 प्रतिशत साल 2010-11 में रही