अभी दमदार विषय-वस्तु वाले लेखकों का दौर : ‘पूनम का चांद’ के कवि (साक्षात्कार)

नई दिल्ली, 29 दिसंबर (आईएएनएस)- ‘द पिकॉक फेदर’ किताब की कामयाबी के बाद लेखक सुनील कपूर 61 कविताओं का संग्रह ‘पूनम का चांद’ लेकर आए हैं। फिल्मी परिवार से ताल्लुक रखने वाले सुनील कपूर अपनी किताब की कामयाबी की वजह उसके कंटेंट (विषय-वस्तु) को मानते हैं। सुनील का मानना है कि दमदार कंटेंट वाले लेखकों का अच्छा दौर चल रहा है।

सुनील ने खास बातचीत में आईएएनएस को फोन पर बताया, “‘द टेरीबल ट्विन्स’ मेरे और मेरे जुड़वां भाई सुधीर कपूर के जीवन पर आधारित है। यह 13 खंडों में हमारी जिंदगियों के विभिन्न पहलुओं को छूती है। वहीं, 2016 में लांच ‘द पिकॉक फेदर’ में 10 कहानियां हैं, जो मेरी वकालत और मेरे भाई के चार्टड अकाउटेंट के अनुभवों पर आधारित है। मैंने कभी नहीं सोचा कि यह बेस्टसेलर बनेगी। इस पर तीन फिल्में भी बनाने की योजना चल रही है।”

‘पूनम का चांद’ सुनील ने अपनी पत्नी पूनम कपूर को समर्पित की है। उन्होंने इस बारे में विस्तार से कहा, “मैंने 110 कविताएं लिखी थीं, जिसमें से रूपा पब्लिकेशंस की ओर से 61 कविताओं का चयन कर किताब की शक्ल दी। इस किताब की लांचिंग का हिस्सा जॉय मुखर्जी का परिवार भी रहा, क्योंकि उन्होंने मेरी तीन कहानियों को फिल्म बनाने के लिए चुना था।”

वह बताते हैं, “इसमें एक पर लघु फिल्म ‘अब मुझे उड़ना है’, बन चुकी है जिसे देश और विदेश में करीब 15 पुरस्कार मिले हैं। यह लघु फिल्म पिछले महीने रिलीज हुई है, लेकिन अभी यह केवल फिल्म पुरस्कारों में ही गई है, इसकी सिनेमाघर में रिलीज बाकी है। चूंकि यह आधे घंटे की फिल्म है इसलिए निर्माता इसे सिनेमाघर या टेलीविजन पर रिलीज करने की योजना बना रहे हैं। इसे अमेरिका के लॉस एंजेलिस, कोलकाता अंतर्राष्ट्रीय फिल्म महोत्सव और मुंबई अंतर्राष्ट्रीय फिल्म महोत्सव में कई पुरस्कार दिए जा चुके हैं।”

उन्होंने कहा, “मैंने निर्भया कांड के बाद इसे लिखा था।”

सुनील पेशे से दिल्ली उच्च न्यायालय में अधिवक्ता हैं लेकिन लेखन, फिल्म निर्माण व निर्देशन से उनका गहरा नाता रहा है।

वह बताते हैं, “सुनील के पिता एक फिल्म वितरक व निर्माता थे। मैंने अपनी किताब का जो शीर्षक रखा है वह भी उनकी ही एक फिल्म ‘पूनम का चांद’ पर आधारित है जो 1967 में रिलीज हुई थी। इस फिल्म में मेरे पिता मुकेश भट्ट के पिता नानाभाई भट्ट के साझेदार थे। वह फिल्में, गाने और शायरी लिखा करते थे, हमारे घर का माहौल भी ऐसा था, तो मैं कह सकता हूं कि लेखन मुझे विरासत में मिला है।”

वकालत की ओर कैसा आना हुआ? इस पर वह हंसते हुए कहते हैं, “पेट पालने के लिए कुछ करना जरूरी है। मैंने श्रीराम कॉलेज से पढ़ाई की और फिर वकालत की। बच्चों की जिम्मेदारी निभाने के बाद मैंने लेखन में ध्यान देना शुरू किया।”

‘द पिकॉक फेदर’ की सफलता के बाद क्या परिवर्तन आया? इस पर उन्होंने बताया, “बहुत बदलाव आया है। मुझे लोग पहचानने लगे हैं। मैंने कभी नहीं सोचा था कि इतने समय में मुझे इतनी कामयाबी मिलेगी। मुझे रूपा पब्लिकेशंस की ओर से ‘द पिकॉक फेदर’ की वॉल्यूम 2 बनाने का प्रस्ताव मिला है जिस पर मैं फिलहाल काम कर रहा हूं। पहले मैं प्रकाशकों के दफ्तर के बाहर घंटों इंतजार करता था लेकिन अब प्रकाशक खुद मुझे फोन कर रहे हैं।”

मौजूदा दौर लेखकों के लिए कैसा है? इस पर उन्होंने कहा, “मुझे लगता है कि यह लेखकों के लिए बहुत अच्छा है। मौजूदा समय में दमदार कंटेंट वाली कहानी पर कम लागत में बनीं फिल्म भी करोड़ों का कारोबार कर रही है। नेटफ्लिक्स और अमेजन जैसी साइटों ने भी लेखकों को बड़ा मंच उपलब्ध कराया है।”

‘पूनम का चांद’ का विमोचन नई दिल्ली में 23 दिसंबर को एक समारोह में दिल्ली भाजपा अध्यक्ष मनोज तिवारी, अभिनेता शक्ति कपूर, कंवलजीत सिंह और दिवंगत फिल्म अभिनेता जॉय कपूर के परिवार की मौजूदगी में हुआ।