मुंबई । समाचार ऑनलाइन
मंटो के बारे में बात करते हुए नंदिता कहती हैं कि ‘ मंटो हमेंशा से ही अपने विचारों को रखने की आजादी के साथ खड़े थे। उन्होंने अपने जीवन में संघर्षों और अपने लेखन के जरिए इसे प्रदर्शित भी किया है। उन्होंने सभी प्रकार की रूढ़िवादिता को चुनौती दी। इसके चलते उन्हें छह मुकदमों का भी सामना करना पड़ा। बताया कि फिल्म मंटो में मुख्य भूमिका के लिए उन्होंने नवाजुद्दीन सिद्दीकी को चुना क्योंकि उनमें उर्दू के महान लेखक और कहानीकार की तरह कई समानताएं हैं। नंदिता ने कहा कि ‘मंटो’ को लिखते वक्त उनके दिमाग में हमेशा नवाज ही रहे। वह इन दिनों इससे जुड़े कामों में ही मशगूल है। उन्हे अपने लिखने की ताकत पर पूरा भरोसा था। उनका इस तरह के दृढ़ विश्वास और अपनी बात पर बने रहने का साहस प्रेरणादायक है। “
[amazon_link asins=’B07FTK2DTC,B078RKPPGP’ template=’ProductCarousel’ store=’policenama100-21′ marketplace=’IN’ link_id=’e932cc52-9fb4-11e8-acc4-bbc990482a18′]
इस करदार के लिए नवाजुद्दीन थे सबसे बेहतर विकल्प भारत में अपने विचार रखने की स्वतंत्रता के बारे में पूछने पर नंदिता कहती हैं कि मैं बहुत आशावादी हूं। मुझे विश्वास है कि देश में लेखक और कलाकार सच को हमेशा ही अपने तरीके से सबके सामने रखने में पीछे नहीं हटेंगे। हमें पाठक या दर्शक के तौर पर हमेंशा ही उन्हे समर्थन देना चाहिए. फिल्म के मुख्य कलाकार नवाजूद्दीन के बारे में बताते हुए नंदिता कहती हैं कि मंटो की तरह ही उनके चेहरे पर गहरी संवेदना है। क्रोध, तीव्रता और भाव विहीन हास्य जैसी कई समानताएं है। इन समानताओं के चलते ही नवाज के जरिए मंटो के चरित्र को पर्दे पर उतारने में मदद मिली। मंटो का चरित्र बेहद जटिल है ऐसे जटिल किरदार के लिए नवाज बेहद अच्छे कलाकार हैं।