आंबेगांव और जुन्नर के वोटर ने तय कर दी है शिरूर लोकसभा की तकदीर

शिरूर : समाचार ऑनलाईन – शिरूर लोकसभा सीट पर इस बार का चुनाव काफी दिलचस्प रहा। यहां 59.46 प्रतिशत वोटिंग हुई। तीन पंचवर्षीय चुनाव की तुलना में इस बार पहली बार शिवसेना सांसद शिवाजीराव आढलराव पाटिल को राष्ट्रवादी कांग्रेस के उम्मीदवार अभिनेता डॉ. अमोल कोल्हे को कड़ी टक्कर दी। चुनाव काफी टक्कर की हुई है। ऐसे में शिरूर का सूबेदार कौन होगा? नेता या अभिनेता? इसे लेकर क्षेत्र में जोरदार चर्चा हो रही है। 23 मई को चुनाव के परिणाम आने तक तर्क-विर्तक का दौर जारी रहेगा। शिवाजीराव आढलराव पाटिल के आंबेगांव में 70.29 प्रतिशत जबकि डॉ. अमोल कोल्हे के जुन्नर में हुई 64.90 प्रतिशत वोटिंग निर्णायक साबित होगी।

पहले राष्ट्रवादी कांग्रेस पार्टी में रहे शिवाजीराव आढलराव पाटिल शिवसेना में जाने के बाद से लगातार तीन बार से सांसद चुने जा रहे हैं। 2004 में खेड़ लोकसभा सीट से पहली बार लोकसभा का चुनाव जीतकर आए थे। 2009 में लोकसभा की पुनर्रचना होने के बाद शिरूर लोकसभा क्षेत्र अस्तित्व में आया। शिवाजीराव आढलराव पाटिल ने यहां से 2009 व 2014 में लेकसभा का चुनाव जीतकर हैट्रिक लगाई। इस बार के चुनाव में राष्ट्रवादी कांग्रेस ने पूर्व शिवसैनिकों को पार्टी में शामिल करके शिवाजीराव आढलराव पाटिल के सामने कड़ी चुनौती पेश की और एक तगड़ा उम्मीदवार खड़ा किया।

शिरूर लोकसभा क्षेत्र में छह विधानसभा है। इनमें जुन्नर, आंबेगांव, खेड़-आलंदी, शिरूर, भोसरी और हड़पसर शामिल हैं। डॉ. अमोल कोल्हे जुन्नर के निवासी है।उनके तहसील में एक लाख 93 हजार 965 मतदाताओं ने अपने मताधिकार का इस्तेमाल किया और वहां 64.90 फीसदी मतदान हुआ।स्थानीय होने के कारण जुन्नर का अधिकतर वोट डॉ.अमोल कोल्हे के पक्ष में डाले जाने की संभावना जताई जा रही है।

शिवाजीराव आढलराव पाटिल के आंबेगांव तहसील में सबसे अधिक एक लाख 97 हजार 52 मतदाताओं ने अपने मताधिकार का इस्तेमाल किया और यहां 70.29 प्रतिशत वोटिंग हुई। राष्ट्रवादी कांग्रेस के नेता दिलीप वलसे-पाटिल और शिवाजीराव आढलराव पाटिल दोनों आंबेगांव तहसील के है। अब तक आंबेगांव के मतदाता लोकसभा चुनाव में शिवाजीराव आढलराव पाटिल का जबकि विधानसभा चुनाव में दिलीप वलसे-पाटिल का समर्थन करते आए हैं। ऐसे में इस बार आंबेगांव में सबसे अधिक वोटिंग कर यहां के मतदाताओं ने किसके पक्ष में अपना समर्थन जाहिर किया है, यह देखना महत्वपूर्ण होगा। शिरूर लोकसभा क्षेत्र में 2 लाख 27 हजार 542 मतदाताओं ने अपने मताधिकार का इस्तेमाल करते हुए 61.52 प्रतिशत वोटिंग की। यहां भी भाजपा के मौजूदा विधायक और राष्ट्रवादी कांग्रेस के पूर्व विधायकों की प्रतिष्ठा दांव पर लगी है।

भोसरी में किसका पक्ष मजबूत

भोसरी निर्वाचन क्षेत्र में 2 लाख 37 हजार 767 मतदाताओं ने अपने मताधिकार का इस्तेमाल किया और यहां 57.48 फीसदी मतदान हुआ। राष्ट्रवादी के पूर्व विधायक विलास लांडे को टिकट नहीं दिए जाने से वह कई दिनों तक पार्टी से नाराज चल रहे थे। ऐसे में भोसरी में किसके पक्ष में अधिक वोटिंग हुई इस पर सबकी नजरें टिकी हुई है। हड़पसर निर्वाचन क्षेत्र के 2 लाख 33 हजार 316 मतदाताओं ने अपने मताधिकार का इस्तेमाल किया। यहां सबसे कम 47.84 प्रतिशत वोटिंग हुई। हड़पसर से भाजपा के विधायक है। राष्ट्रवादी कांग्रेस के पुणे के शहराध्यक्ष व दो पूर्व महापौर यहां प्रचार में सक्रिय थे। ऐसे में हड़पसरवासियों ने किसके पक्ष में वोटिंग की यह देखना भी महत्वपूर्ण होगा।