दुनिया के लिए खतरा हैं परमाणु हथियार संपन्न देश, किसके पास कितने एटम बम

· अमेरिका और ईरान में तनाव पर रूस ने किया अमेरिका को आगाह, कहा-हो सकती है तबाही

· भारत के पास फिलहाल 130 से 140 परमाणु बम हैं, जबकि पाकिस्तान के पास 150 से 160 होने की संभावना

समाचार ऑनलाइन – ईरान और अमेरिका के बीच तनाव कम होने का नाम नहीं ले रहा है। अमेरिकी ड्रोन को मार गिराए जाने के बाद दुनिया के कुछ बड़े देश दो खेमों में बंटते दिख रहे हैं। अमेरिका और रूस भी आमने-सामने आ गए हैं। ऐसी स्थिति में जब दोनों ही परमाणु संपन्न देश हैं, यह गतिरोध चिंताजनक है। दूसरी ओर कई देश अपना रक्षा बजट भी बढ़ा रहे हैं। ऐसी स्थिति में यदि परमाणु युद्ध शुरू हुआ तो दुनिया और मानव सभ्यता का अस्तित्व खतरे में पड़ जाएगा। स्टॉकहोम इंटरनेशनल पीस रिसर्च इंस्टीट्यूट (सिपरी) की एक रिपोर्ट में बताया गया है कि किस देश के पास कितने परमाणु बम हैं। इसी रिपोर्ट में बताया गया है कि बढ़ती असुरक्षा के मद्देनजर दुनिया में हथियारों की होड़ बढ़ गई है। कई देश रक्षा बजट बढ़ा रहे हैं तो कई परमाणु हथियारों से लैस देश अपने अस्त्रों को आधुनिक बनाने में जुटे हैं। हालांकि परमाणु हथियारों की संख्या में कमी आई है। बावजूद इसके इस वक्त दुनिया में 9 देशों के पास परमाणु हथियार हैं। इनमें अमेरिका, रूस, ब्रिटेन, फ्रांस, चीन, भारत, पाकिस्तान, इजरायल और उत्तर कोरिया शामिल हैं।

2019 में किसके पास कितने परमाणु बम
· रूसः 6500

· अमेरिकाः 6185

· फ्रांसः 300

· चीनः 290

· ब्रिटेनः 200

· भारतः 130-140

· पाकिस्तानः 150-160

· इजरायलः 80-90

· उत्तर कोरियाः 20-30

इंस्टीट्यूट के परमाणु निरस्त्रीकरण, शस्त्र नियंत्रण और अप्रसार कार्यक्रम के निदेशक शेनन काइल ने बताया कि दुनिया में परमाणु हथियारों का कुल उत्पादन कम हो गया है, लेकिन दक्षिण एशिया में यह बढ़ रहा है। सिपरी का अनुमान है कि 2019 की शुरुआत में दुनिया में परमाणु हथियारों की संख्या 13,865 थी। इस आंकड़े में उन सभी हथियारों को गिना गया है जिन्हें तैनात किया गया है या फिर डिसमेंटल किया जाना है।

परमाणु हथियारों में रूस अमेरिका से आगे
राष्ट्रपति चुने जाने के बाद डोनाल्ड ट्रंप ने एक ट्वीट कर कहा था कि अमेरिका को अपनी परमाणु क्षमता बढ़ानी चाहिए। वॉशिंगटन स्थित संस्था आर्म्स कंट्रोल एसोसिएशन की रिपोर्ट में दावा किया गया था कि केवल रूस ही है जो परमाणु शक्ति के मामले में फिलहाल अमेरिका से आगे है। अमेरिका और रूस ही दो ऐसे देश है जिनके पास परमाणु हमले के लिए जरूरत से ज्यादा हथियार हैं। दोनों के पास दुनिया में मौजूद कुल 15,000 ऐसे हथियारों का 90 फीसदी है। इस सूची में 300 हथियारों के साथ फ्रांस तीसरे नंबर पर है।

एक साल में कम हुए 600 परमाणु हथियार
सिपरी की रिपोर्ट कहती है कि भले ही दुनिया के परमाणु शक्ति संपन्न देश अपने हथियारों को आधुनिक बनाने में जुटे हैं, लेकिन उनकी संख्या घट रही है। एक साल पहले के मुकाबले परमाणु हथियारों की संख्या 600 कम हुई है। इसकी बड़ी वजह अमेरिका और रूस के बीच हुई स्टार्ट संधि है। इसके तहत दोनों देशों ने अपने परमाणु हथियार घटाए हैं। 1949 में पहली बार परमाणु परीक्षण करने वाले रूस के पास अभी 6500 परमाणु हथियार हैं, जबकि 1945 में पहली बार परमाणु परीक्षण करने वाले अमेरिका के पास 6185 परमाणु हथियार हैं। इनमें से एक चौथाई हथियारों को तैनात किया गया है।

स्टार्ट संधि 2021 में खत्म होने वाली है। दोनों देशों ने अभी इसे आगे बढ़ाने पर बात शुरू नहीं की है। सिपरी में परमाणु निरस्त्रीकरण, हथियार नियंत्रण और अप्रसार कार्यक्रम के निदेशक कहते हैं, “अगर दोनों देशों के बीच राजनीतिक और सैन्य मतभेद कम नहीं हुए तो रूस और अमेरिका के परमाणु हथियारों में आ रही कमी की भावी संभावनाएं कमजोर हो सकती हैं।”

अमेरिकी नीतियों की आलोचना
फाउंडेशन ऑफ पीस इन दी न्यूक्लियर एरा की एक रिपोर्ट के अनुसार, परमाणु हथियार घटाने की अमेरिकी कोशिशें तर्कसंगत नहीं हैं। संस्था की रिपोर्ट ने अमेरिकी नीतियों को दोगली बताया और कहा है कि कोई अन्य देश परमाणु हथियार बनाए तो अमेरिका उसके खिलाफ कड़े कदम उठाता है जबकि उसके खुद के पास दूसरों से कई गुना अधिक हथियार हैं।

हथियारों के उन्नयन में जुटे देश
सिपरी का दावा है कि रूस और अमेरिका, दोनों ही अपने परमाणु अस्त्रागार, मिसाइलों और डिलीवरी सिस्टम को आधुनिक बनाने के लिए व्यापक कार्यक्रम चला रहे हैं और इस काम पर खूब धन खर्च किया जा रहा है। दक्षिण एशिया में भारत अपनी रक्षा जरूरतों का ख्याल रखते हुए परमाणु परीक्षण कर चुका है। वहीं आर्थिक रूप से तंगहाल पाकिस्तान भी गरीबी और महंगाई से निपटने की बजाय अपने परमाणु हथियारों का जखीरा बढ़ा रहा है। अनुमान है कि भारत के पास 130 से 140 और पाकिस्तान के पास 150 से 160 परमाणु हथियार हैं। हालांकि भारत के बम ज्यादा असरकारक हैं। हालांकि चीन और पाकिस्तान के साथ सीमा विवाद के बावजूद भारत कह चुका है कि वो पहले परमाणु हमला नहीं करेगा।

चीन के पास 290 बम
रिपोर्ट के मुताबिक उत्तर कोरिया के पास 20 से 30 परमाणु हथियार हैं और वह उन्हें अपने देश की सुरक्षा के लिए रणनीतिक रूप से बहुत अहम मानता है। तमाम प्रतिबंधों के बावजूद 2006 में उत्तर कोरिया ने परमाणु परीक्षण किया। वैसे जब से उत्तर कोरिया ने अमेरिका के साथ परमाणु निरस्त्रीकरण वार्ता शुरू की है, उसने किसी परमाणु हथियार या फिर लंबी दूरी की बैलेस्टिक मिसाइल का परीक्षण नहीं किया है। अन्य देशों में फ्रांस के पास 300, चीन के पास 290, ब्रिटेन के पास 200 और इजरायल के पास 80 से 90 परमाणु हथियार हैं।

सब सबसे ताकतवर हथियार से ताकतवर हथियार

संयुक्त राष्ट्र के अनुसार परमाणु हथियार धरती पर मौजूद सबसे ताकतवर हथियार हैं। निरस्त्रीकरण मामलों के लिए संयुक्त राष्ट्र का कहना है कि इससे ना केवल एक पूरे शहर को खत्म किया जा सकता है बल्कि लाखों लोगों को मारा जा सकता है और पर्यावरण को और आनेवाली पीढ़ी को भी नुकसान पहुंचाया जा सकता है।

500 परमाणु बमों का परीक्षण
कजाकिस्तान के ‘द पॉलिगन’ का इतिहास अपने आप में खौफनाक है। 1949 से 1989 के बीच यहां लगभग हर साल 10 परमाणु बमों का परीक्षण किया गया। और इसके नतीजे आज तक दिख रहे हैं। शीत युद्ध के दौरान पूर्व सोवियत रूस यानी यूएसएसआर ने परमाणु परीक्षण के लिए यहां दुनिया का सबसे बड़ा केंद्र बनाया था। सोवियत रूस की सरकार ने यहां 456 परमाणु बमों का परीक्षण किया था।

केंद्रीय एशिया के कजाक स्टेपीज में स्थित ‘द पॉलिगन’ का आधिकारिक नाम है सेमीपलाटिंस्क टेस्ट साइट। ये जगह बेल्जियम जितनी या फिर अमेरिका के मैरीलैंड जितनी बड़ी है। यहां का प्रमुख शहर है कूअरशाटोफ जिसका नाम रूसी भौतिकशास्त्री आईगोर कूअरशाटोफ के नाम पर दिया गया है। कूअरशाटोफ ने सोवियत रूस के परमाणु कार्यक्रम का नेतृत्व किया था। यहीं से सेमीपलाटिंस्क में किए जाने वाले परीक्षणों की निगरानी की जाती थी।

क्यों बना ये सेंटर
परमाणु परीक्षणों के लिए इस जगह को चुना गया क्योंकि सर्बिया के मुकाबले ये इलाका मेक्सिको के करीब है। सोवियत रूस की खुफिया पुलिस के निदेशक और सोवियत परमाणु बम कार्यक्रम की लावरेंती बेरिया के अनुसार यहां लोग नहीं रहते थे। यहां की जमीन भी जरूरत से ज्यादा ही सख्त है। यही कारण है कि रूसी जार निकोलस प्रथम ने 1854 में सरकार के खिलाफ बोलने वाले लेखक फ्योदोर दोस्तोवस्की को निर्वासित कर यहां छोड़ दिया था।

भारत का ‘स्माइलिंग बुद्धा’

भारत ने पहला परमाणु परीक्षण मई 1974 में किया था। इस परमाणु परीक्षण का नाम ‘स्माइलिंग बुद्धा’ था। इसके बाद पोखरण-2 परीक्षण मई 1998 में राजस्थान के पोखरण में स्थित परीक्षण रेंज पर हुआ। यह पांच परमाणु बम परीक्षणों की श्रृंखला का एक हिस्सा था। इस कदम के साथ ही भारत की दुनियाभर में धाक जम गई। भारत विश्व का पहला ऐसा परमाणु शक्ति संपन्न देश बना, जिसने परमाणु अप्रसार संधि (एनपीटी) पर हस्ताक्षर नहीं किए हैं।

भारत द्वारा किए गए इन परमाणु परीक्षणों की सफलता ने विश्व समुदाय की नींद उड़ा दी थी। इन परीक्षणों के कारण विश्व समुदाय ने भारत के ऊपर कई तरह के प्रतिबंध लगाए थे। इसी कारण भारत ने विश्व समुदाय से कहा था भारत एक जिम्मेदार देश है और वह अपने परमाणु हथियारों को किसी देश के खिलाफ “पहले इस्तेमाल” नहीं करेगा, जो कि भारत की परमाणु नीति का हिस्सा है। भारत ने वर्ष 2003 में अपनी परमाणु नीति बनाई थी। इसके अनुसार भारत का परमाणु कार्यक्रम उसकी संप्रभुता और सीमाओं की रक्षा करने के लिए है।