दाभोलकर, पानसरे की हत्या के पीछे कोई एक व्यक्ति नहीं पूरी संस्था है: तुषार गांधी

पुणे | समाचार ऑनलाइन
डॉ. नरेंद्र दाभोलकर हत्याकांड को आज पांच साल पूरे हो चुके हैं, लेकिन अभी तक पुलिस उनके सभी हत्यारों की सलाखों के पीछे नहीं पहुंचा पाई है। हालांकि, हाल ही में पुलिस ने इस संबंध में दो व्यक्तियों को गिरफ्तार किया है मगर साजिश की गुत्थी को सुलझाना अभी बाकी है। हत्याकांड को पांच साल पूरे होने के मौके पर पुणे में ‘जबाब दो’ रैली निकाली गई। इस दौरान तुषार गाँधी, मुक्ता दाभोलकर, अमोल पालेकर आदि उपस्थित थे।
महात्मा गांधी के वंशज तुषार गांधी ने अप्रत्यक्ष तौर पर दाभोलकर की हत्या के लिए भाजपा को ज़िम्मेदार ठहराया। उन्होंने कहा कि गौरी लंकेश, कलबुर्गी, दाभोलकर, पानसरे इन सबकी हत्या के पीछे कोई एक या दो व्यक्ति नहीं बल्कि एक बड़ी संस्था शामिल है। यह संस्था बदलाव से डरती है, सवाल पूछने वालों को मौत के घाट उतार देती है। उन्होंने इशारों ही इशारों में महाराष्ट्र और केंद्र सरकार को सभी की हत्या का दोषी करार दिया।
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 गांधी ने आगे कहा कि अब ये कहा जा रहा है कि हत्याकांड में शामिल एक दो व्यक्तियों को पकड़ लिया गया है, ऐसा केवल इसलिए कहा जा रहा है कि लोगों को लगे की केस ख़त्म हो गया है।  लेकिन इस हत्याकांड के पीछे जो संस्था थी, जिसने इस कृत्य के लिए उकसाया जब तक उसका पर्दाफाश नहीं हो जाता तब तक केस बंद नहीं हो सकता। इस रैली का उद्देश्य समाज को यह याद दिलाना है कि उसकी भलाई करने वालों का क्या हाल होता है। हम चाहते हैं कि प्रशासन इतने सख्त कदम उठाये कि इस तरह के कृत्य करने वालों के दिल में कानून के प्रति खौफ पैदा हो।
वहीं,  अभिनेता अमोल पालेकर ने कहा कि पांच साल में सिर्फ दो लोगों को गिरफ्तार किया गया।  यह भी अभी नहीं पता कि वो लोग उसमें शामिल भी थे या नहीं। इस हत्याकांड के पीछे जो असली लोग हैं प्रशासन को उन तक पहुँचने की ज़रूरत है। विचारों को अभिव्यक्त करने वालों की आवाज़ दबाने की कोशिशें लगातार की जा रही हैं, इसकी शुरुआत महात्मा गांधी की हत्या से हुई थी। इस मामलों में हम लोगों को चुप नहीं रहना चाहिए। आज देश में डर का माहौल क्यों है?  सवाल पूछने पर पाबंदी क्यों लगाई जा रही है? यही मेरा सवाल है और इसका जबाब मिलने तक मैं खड़ा रहूँगा और सवाल पूछता रहूँगा।
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मुक्ता दाभोलकर ने कहा कि इस हत्याकांड के मास्टरमाइंड को जब तक गिरफ्तार नहीं किया जाता है, तब तक हमारा आंदोलन चलता रहेगा। जांच एजेंसी का कहना है कि इन सभी हत्याओं के तार जुड़े हुए हैं, लिहाजा यह बहुत ज़रूरी है कि इनके पीछे के असली चेहरे को सामने लाया जाए।
डॉ. नरेंद्र दाभोलकर की 20 अगस्त 2013 को बालगंधर्व रंगमंदिर के पास शिंदे पुल पर हत्या हुई थी। इस समय परिसर की साफसफाई करनेवाले 6 गवाहों की गवाही में सामने आया था कि उन्होंने फायरिंग की आवाज सुनी और काले रंग की बाइक पर दो लोगों को आते हुए देखा था। दाभोलकर की हत्या के समय इस्तेमाल किए गए रिवॉल्वर की बैलेस्टिक रिपोर्ट विदेश से मंगवाई गई।
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आरोपपत्र में कहा गया कि रिपोर्ट के आधार पर जांच को आगे बढ़ाना है और फरार आरोपी एवं तावडे की बाइक के संबंध में भी जांच की जानी है। इस आरोपपत्र में 20 अहम् बातों का जिक्र किया गया, जिसमें अब तक की गवाही, सीसीटीवी फुटेज में दिख रहे संदिग्ध, स्केच, वीरेंद्रसिंह तावडे के घर व सनातन संस्था पर छापा के दौरान पाए गए दस्तावेज, सनातन अखबार की खबरों की कटिंग, विभिन्न अखबारों में प्रकाशित खबरों की कटिंग, दाभोलकर व अंधश्रद्धा निर्मूलन समिति को लेकर सनातन में प्रकाशित किए गए व्यंगचित्रों आदि शामिल थे।