केरल के लिए विदेशी मदद लेने से मना करने की यह है वजह

पुणे। समाचार ऑनलाइन
केरल की बाढ़ में मदद के लिए यूएई के प्रधानमंत्री व दुबई के शासक शेख मोहम्मद अल मख्तूम ने 700 करोड़ रुपये की मदद की पेशकश की थी। भारत के प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी व केरल के मुख्यमंत्री पिनराई विजयन ने ट्विटर के जरिये इसकी प्रशंसा भी की है। हांलाकि विदेशी वित्तीय मदद लेने से मना कर दिया है। विदेशी मदद लेने संबन्धी की भारत की नीति में कोई बदलाव नहीं आया है। भारत इस फैसले के जरिये दुनिया को यह बताना चाहता है कि वह अपनी समस्याओं से निपटने में सक्षम है।
क्या है वजह
2004 से भारत ने किसी भी तरह की प्राकृतिक आपदा के लिए विदेशी आर्थिक मदद लेने की परंपरा पर रोक लगा दी। लेकिन इस बात का ध्यान रखा गया कि भारत की तरफ से दूसरे देशों को दिए जाने वाले आर्थिक मदद में इजाफा हो। पिछले दो दशकों में भारत ने किसी भी प्राकृतिक आपदा से लड़ने के लिए पर्याप्त क्षमता विकसित कर ली है। केरल की बाढ़ से भी यह साबित हो रहा है। जिस तेजी से वहां बचाव अभियान चलाया गया है वह अपने आप में अनूठा है। यही वजह है कि केरल में बाढ़ के बाद जब विदेशी सरकारों की तरफ से मदद का प्रस्ताव आने लगे तो विदेश मंत्रालय ने अपने सभी दूतावासों व मिशनों को कहा है कि वह इसे नम्रतापूर्वक लेने से मना कर दे।
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दूसरों की मदद हेतु आगे
2004 की सुनामी में काफी नुुुकसान के बावजूद भारत ने दूसरे किसी भी देश से वित्तीय मदद नहीं ली। इसके विपरीत श्रीलंका, थाइलैंड समेत अन्य देशों को आर्थिक मदद जरूर दी। सुनामी में भारत को  अमेरिका, जापान समेत कई देशों ने वित्तीय मदद की पेशकश की, लेकिन भारत ने सभी को धन्यवाद देते हुए मदद लेने से मना कर दिया। हांलाकि इन देशों को कहा गया कि वह अपने पसंद के एनजीओ के जरिये मदद दे सकते हैं। इसके विपरीत सुनामी से प्रभावित श्रीलंका, थाईलैंड व इंडोनेशिया को संयुक्त तौर पर 2.65 करोड़ डॉलर की मदद की। उसके बाद से ही भारत प्राकृतिक आपदा आने पर दूसरे देशों को बढ़-चढ़कर वित्तीय मदद देता रहा है।
कब ली थी आखिरी बार मदद
भारत ने अंतिम बार प्राकृतिक आपदा से लड़ने के लिए विदेशी मदद वर्ष 2004 में बिहार में आई बाढ़ के बाद राहत कार्य के लिए अमेरिका व ब्रिटेन से ली थी। उसके पहले गुजरात भूकंप (वर्ष 2001) में कई देशों ने भारत को वित्तीय मदद दी थी। 2005 में जब कश्मीर में भूकंप आया था तो भारत ने पाकिस्तान को 2.5 करोड़ डॉलर की मदद दी थी। 2011 में फुकुशिमा (जापान) में आए भूकंप और उसकी वजह से वहां के परमाणु ऊर्जा संयंत्र में हुई दुर्घटना से प्रभावित लोगों को मदद पहुंचाई थी। हाल ही में भयंकर भूकंप झेल रहे नेपाल को भारत की तरफ से एक अरब डॉलर की मदद दी गई।
नीतियों में बदलाव की गुहार
यह एक बड़ी वजह है कि भारत दूसरे देशों से अब कोई मदद नहीं लेता। वैसे विदेशी निजी संस्थाएं या एनजीओ राहत कार्य या आपदा बाद पुर्नस्थापना से जुड़े कार्यो में मदद कर सकते हैं। कांग्रेस ने विदेशी चंदा स्वीकार नहीं करने की खबरों को निराशाजनक करार दिया। पार्टी ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी से नियम में बदलाव के लिए कदम उठाने का अनुरोध किया है। केरल के पूर्व मुख्यमंत्री ओमन चांडी ने कहा कि पीड़ित लोगों के लिए नियम को दरकिनार किया जा सकता है। मुख्यमंत्री पिनराई विजयन के अनुसार केरल सरकार प्रधानमंत्री से विदेशी चंदा स्वीकार करने में रुकावट खत्म करने के लिए अनुरोध करेगी। ने बुधवार को यह कहा।
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