राज्यसभा में विपक्ष प्रवर समिति के पास भेजना चाहता है तीन तलाक विधेयक

नई दिल्ली (आईएएनएस) : समाचार ऑनलाईन – केंद्र सरकार द्वारा राज्यसभा में तीन तलाक विधेयक पेश करने से पहले विपक्षी दलों ने सोमवार को एक बैठक की और विधेयक को आगे के विचार-विमर्श के लिए प्रवर समिति को सौंपने की मांग करने का फैसला किया।

राज्यसभा में विपक्ष के नेता गुलाम नबी आजाद की अध्यक्षता में संसद भवन के उनके चैंबर में बैठक हुई, जिसमें समाजवादी पार्टी के राम गोपाल यादव, तृणमूल कांग्रेस के डेरेक ओ’ब्रायन, भारतीय कम्युनिस्ट पार्टी के डी. राजा और केरल कांग्रेस के जोस के. मणि सहित 12 विपक्षी दलों के नेताओं ने भाग लिया।

बैठक में मौजूद सूत्रों ने कहा कि बैठक में शामिल अधिकांश दलों ने कहा कि विधेयक को प्रवर समिति को भेजे जाने की जरूरत है। द्रमुक नेता व राज्यसभा सदस्य के. कनिमोझी ने कहा कि उनकी पार्टी का रुख तीन तलाक के ‘अपराधीकरण’ के खिलाफ पहले जैसा बना हुआ है।

उन्होंने पत्रकारों से कहा, “हम तलाक बोलने पर जेल की सजा के विरोध में हैं। यहां तक कि इस्लामिक सिद्धांत भी तत्काल तीन तलाक की अनुमति नहीं देते हैं। हम विधेयक के खिलाफ मतदान करेंगे और यह द्रमुक का रुख है कि इसे (विधेयक को) विचार के लिए प्रवर समिति को भेजा जाए।”

तेलुगू देशम पार्टी (तेदेपा) प्रमुख व आंध्र प्रदेश के मुख्यमंत्री चंद्रबाबू नायडू ने अपने सभी सांसदों से मुसलमानों के उत्पीड़न को रोकने की अपील की। उन्होंने कहा, “सभी विपक्षी दलों को भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) के मुस्लिम विरोधी रवैये के खिलाफ एकजुट होकर लड़ना चाहिए। सरकार द्वारा जबरन तीन तलाक विधेयक लागू करने की कोशिश करना धर्मनिरपेक्षता और राष्ट्रीय अखंडता के लिए एक खतरा है।”

सरकार यह जानते हुए कि राज्यसभा में तीन तलाक विधेयक पारित होना आसान नहीं है, इसे प्राथमिकता देते हुए सोमवार को ऊपरी सदन में लेकर आई। मुस्लिम महिला (विवाह अधिकार संरक्षण) विधेयक, 2018 को ऊपरी सदन में सूचीबद्ध किया गया है, जहां विपक्ष की संख्या अधिक है और भाजपा के प्रति मित्रता का रुख रखने वाली पार्टी अन्नाद्रमुक ने भी इस विधेयक का विरोध किया है।

लोकसभा में यह विधेयक कांग्रेस, अन्य विपक्षी दलों के विरोध व अन्नाद्रमुक के वॉक आउट के बावजूद पारित हो चुका है और सरकार ने इसे प्रवर समिति के पास भेजने से इनकार कर दिया था। कांग्रेस के अलावा, अन्नाद्रमुक, तृणमूल कांग्रेस (टीएमसी) और राष्ट्रवादी कांग्रेस पार्टी (एनसीपी) ने भी लोकसभा में विधेयक का विरोध किया।

इस दौरान, प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने संसद भवन में भाजपा अध्यक्ष अमित शाह, वित्त मंत्री अरुण जेटली और गृह मंत्री राजनाथ सिंह के साथ एक बैठक भी की। भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) और कांग्रेस ने अपने राज्यसभा सदस्यों को व्हिप जारी किया है। राज्यसभा में बहुमत नहीं होने की स्थिति में भाजपा को विधेयक पारित होने में मुश्किलों का सामना करना पड़ सकता है।