टीएमईटीसी ने किया टाटा हेक्सा पर नवीनतम सफल परीक्षण  

पुणे समाचार ऑनलाइन – कनेक्टेड और ऑटोनॉमस वाहन प्रौद्योगिकी के परीक्षण की तीन वर्षीय परियोजना का समापन हुआ, जब कोवेन्ट्री स्थित टाटा मोटर्स यूरोपीयन टेक्नीकल सेंटर (टीएमईटीसी) ने परिवहन के भविष्य को आकार देने के लिये अपनी प्रतिबद्धता का खुलासा किया। भारत में टाटा मोटर्स यात्री वाहन बिजनेस के लिये डिजाइन और इंजिनियरिंग में यूके सेंटर ऑफ एक्सीलेंस टीएमईटीसी की योजना सड़क पर नियंत्रित वातावरण के लिये अपनी सीख और भविष्यगत विकास को केन्द्रित करने की है।
टीएमईटीसी ने यूके की इनोवेशन एजेंसी इनोवेट यूके द्वारा सह-वित्तपोषित यूके ऑटोड्राइव प्रोजेक्ट में भाग लिया, जिसमें ओईएम, अत्याधुनिक इंजिनियरिंग व्यवसाय, शिक्षाविद और प्रगतिशील काउंसिल्स समेत 15 भागीदार थे, जिन्होंने एक सुरक्षित और नियंत्रित वातावरण में एसीईएस (ऑटोनॉमस, कनेक्टेड, इलेक्ट्रिक एंड शेयर्ड) प्रौद्योगिकी का प्रभाव जाना। इस प्रोजेक्ट के हिस्से के तौर पर टीएमईटीसी ने नई पीढ़ी की एसयूवी टाटा हेक्सा पर सफल परीक्षण किये। हेक्सा के भीतर खूब जगह है और यह आवश्यक ड्राइविंग हार्डवेयर, विजिटर्स और इंजिनियरों के लिये पर्याप्त स्थान मुहैया कराती है।
टाटा मोटर्स के मुख्य प्रौद्योगिकी अधिकारी राजेन्द्र पेटकर के अनुसार, इंजिनियरिंग रिसर्च सेंटर (ईआरसी) में हम एडवांस्ड ड्राइवर असिस्टेंस सिस्टम्स (एडीएएस) और फुल व्हीकल ऑटोनॉमी पर शोध एवं विकास कार्य कर रहे हैं, ताकि भविष्य के लिये तैयार हो सकें। सड़क संकुलन, वायु प्रदूषण और सड़क सुरक्षा भारत की प्रमुख चिंताएं हैं। हम जल्द ही कनेक्टेड, इलेक्ट्रिक और शेयर्ड टेक्नोलॉजी अपनाएंगे और इसलिये इस विकास में अग्रणी रहना जरूरी है। भारत में भविष्य में ऑटोनॉमी भी अपनाई जा सकती है। यूके पहले ही ऑटोनॉमस वाहनों के सुरक्षित और कानूनी परीक्षण की अभ्यास संहिता जारी कर चुका है, इसलिये यह हमें अपनी सेल्फ-ड्राइविंग वाहन क्षमता को परखने का आदर्श मंच देता है। टीएमईटीसी की हमारी प्रतिभावान टीम के सहयोग से मैं यह बताते हुए प्रसन्न हूँ कि हेक्सा पर किये गये परीक्षण हमारे लिये लाभप्रद रहे हैं। आगे चलकर हम एडीएएस कार्यात्मकताओं को सुदृढ़ और चरणबद्ध तरीके से प्रस्तुत करेंगे।
टीएमईटीसी में हेड ऑफ प्रोपल्शन डेविड हडसन ने कहा, यह प्रोजेक्ट चुनौतीपूर्ण था, लेकिन इससे हमें अपनी प्रौद्योगिकी को सार्वजनिक सड़कों पर वास्तविक वातावरण में सुरक्षित तरीके से जाँचने का मौका मिला। हमें भारत में सड़क के उपयोग की चुनौतीपूर्ण पद्धति को समझना होगा और उस ज्ञान का उपयोग इस प्रोजेक्ट में करना होगा। कनेक्टिविटी वाहन अनुभव के कारण हम कई फीचर्स का सुरक्षित परीक्षण और प्रदर्शन कर पाए, जैसे जीएलओएसए (ग्रीन लाइट ऑप्टिमल स्पीड एडवाइजरी) और ईईबीएल (इलेक्ट्रॉनिक इमरजेंसी ब्रेक लाइट)। इससे यह भी पता चला कि वाहन और अवसंरचना भविष्य में मोटरिंग नेटवर्क के लिये क्रमबद्ध होकर कैसे काम करेंगे। हमें खुशी है कि इस प्रोजेक्ट के अंत तक हम सेल्फ-ड्राइविंग क्षमता के उपयुक्त स्तर पर पहुँचे, अब हम परिवहन क्रांति में अपने अगले कदम के साथ आगे बढ़ेंगे।