शाम 4 बजे आने वाली ट्रेन दूसरे दिन सुबह 5 बजे पहुंची 

नीरज नैयर 

भोपाल : भारतीय रेलवे के तमाम दावों के बावजूद ट्रेनों की लेटलतीफी में कमी नहीं आई है। लखनऊ और पुणे के बीच चलने वाली साप्ताहिक ट्रेन अपने निर्धारित समय से घंटों की देरी से चल रही है। इस ट्रेन को भोपाल रविवार शाम 4:30 बजे पहुंचना था, लेकिन यह दूसरे दिन सुबह 4:56 पर पहुंची। स्टेशन पर मौजूद लोग पूरी रात बस ट्रेन के इंतजार में यहां-वहां भटकते रहे, इनमें से कुछ बुजुर्ग भी थे, जिन्हें सबसे ज्यादा परेशानी उठानी पड़ी।

12104 लखनऊ-पुणे एक्सप्रेस सप्ताह में एक बार रविवार को चलती है। ट्रेन सुबह 6:30 बजे लखनऊ से रवाना होती है तो अगले दिन सुबह 8:17 बजे पुणे पहुँचती है। ट्रेन का भोपाल पहुँचने का समय शाम 4:30 है। रविवार को सफ़र करने वाले ज्यादतर लोग इसी ट्रेन को पसंद करते हैं, क्योंकि यह सुबह पुणे पहुंचा देती है जबकि झेलम को पहुँचते-पहुँचते देर शाम हो जाती है। लेकिन इस बार ट्रेन ने देरी के सभी रिकॉर्ड तोड़ दिए। लखनऊ-पुणे एक्सप्रेस लखनऊ से ही तीन चार घंटे की देरी से चली और इसके बाद लगातार लेट होती गई।

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आज रात पहुंचेगी पुणे 
ट्रेन अभी भी चल ही रही है और ताज़ा जानकारी के अनुसार, इसके रात 8:41 बजे तक पुणे पहुँचने की उम्मीद है। लखनऊ से पुणे सफर कर रहे यात्रियों की स्थिति सबसे ज्यादा ख़राब है, 1480 किलोमीटर का जो सफ़र उन्हें लगभग 26 घंटे में पूरा करना था, उसके लिए 36 घंटे लग रहे हैं। हालांकि अभी भी कुछ कहा नहीं जा सकता, जिस तरह से ट्रेन लेट होती चली आ रही है, संभव है कि वो और देरी से पुणे पहुंचे।

क्या है वजह?
रेलवे का कहना है कि ट्रेन में देरी की वजह पटरियों का मरम्मत कार्य है। दरअसल, 12104 लखनऊ-पुणे एक्सप्रेस को कानपुर सेंट्रल और झांसी जंक्शन के बीच डाइवर्ट किया गया था, जिस वजह से ट्रेन लगातार देर होती गई। रेलवे की तरफ से इस संबंध में यात्रियों को मैसेज भी भेजे गए हैं। मैसेज में कहा गया है कि ‘रेलवे पटरियों की मरम्मत एवं नवीनीकरण कार्य को मिशन मोड में कर रहा है, इस कारण कई ट्रेनों को रोककर कार्य करना हमारी मज़बूरी बन जाता है, आपका सहयोग अपेक्षित है’।

लेट होना लाज़मी
एक रेल अधिकारी ने बताया कि रूट डाइवर्ट करने पर ट्रेन का लेट होना लाज़मी है। ऐसी ट्रेनों को अक्सर उस रूट से गुजरने वालीं अन्य ट्रेनों के लिए रोका जाता है। इस बात से ज्यादा फर्क नहीं पड़ता कि रूट डाइवर्जन वाली ट्रेन एक्सप्रेस है या पैसेंजर, अपने रूट से निर्धारित समय पर गुजरने वालीं गाड़ियों को पहले तरजीह दी जाती है। इसके अलावा यह भी मायने रखता है कि जिस ट्रेन को डाइवर्ट किया गया है उसे कितनी दूरी तय करनी है। यदि ट्रेन को ज्यादा लंबा नहीं जाना है, तो लो-प्राइऑरटी के रूप में देखा जाता है।