मोबाइल वॉलेट से होनेवाले ट्रांजेक्शन 4.2% से बढ़े

 पुणे | समाचार ऑनलाइन
जून में पर कर गया 14 हजार करोड़ का आंकड़ा
 
नोटबन्दी के बाद से डिजिटल बैंकिंग का चलन बढ़ गया है। लोग कैश की बजाय मोबाइल वॉलेट के विकल्प को ज्यादा तवज्जो दे रहे हैं। इसका प्रमाण मिलता है रिजर्व बैंक द्वारा जारी किए गए आंकड़ों से। आंकड़े बताते हैं कि जून महीने में मोबाइल वॉलेट के जरिए होने वाला ट्रांजेक्शन 14 हजार 600 करोड़ रुपये के पार चला गया। भारतीय रिजर्व बैंक की तरफ से जारी किए गए आंकड़ों के मुताबिक इनमें मई के मुकाबले 4.2 फीसदी की बढ़त देखी गई है।

हालांकि कुल ट्रांजेक्शन की संख्या में कमी देखी गई है। मई के मुकाबले जून में इसमें 5 फीसदी की कमी देखी गई। जहां मई में ऐसे ट्रांजेक्शन की संख्या 32.51 करोड़ रही, वहीं जून में यह केवल 30.96 करोड़ रह गया। ऐसे ट्रांजेक्शन की संख्या में फरवरी के बाद से लगातार कमी हो रही है। रिजर्व बैंक ने देश में लाइसेंस प्राप्त सभी मोबाइल वॉलेट कंपनियों को अपने ग्राहकों का केवाईसी नॉर्म्स पूरा करने के लिए फरवरी 2018 तक का वक्त दिया था।

इस मियाद में ज्यादातर कंपनियां इस आदेश को पूरा नहीं कर पाई थी। फरवरी तक यह पूरा नहीं हुआ तो देश भर में कई कंपनियों के मोबाइल वॉलेट बंद हो जाएंगे। मोबाइल वॉलेट के जरिए दिसंबर 2017 में करीब 12 हजार करोड़ रुपये का ट्रांजेक्शन हुआ था। आरबीआई की सख्ती के चलते करोड़ों लोगों पर इसका सीधा असर पड़ा था। आरबीआई ने उन यूजर्स का भी केवाईसी करने के लिए कहा था, जो हर महीने अपने अकाउंट से 10 हजार रुपये से कम का भी ट्रांजेक्शन करते हैं।

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देश की प्रमुख मोबाइल वॉलेट कंपनियां

देश भर में पेटीएम, मोबीक्विक, एसबीआई बड्डी, एचडीएफसी पैजेप, एम-पैसा, एयरटेल मनी, चिल्लर, फोन-पे प्रमुख मोबाइल वॉलेट कंपनियां हैं।